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Friday, 13 August 2021

मेरा देश मेरा सम्मान

स्वतंत्रता दिवस के पूर्व।


मेरा देश मेरा सम्मान।


हर इक वासी के अंतर मन

देश प्रेम अभिमान बने।

ऐसी ज्योत जगे अंतस में

मातृ भूमि का मान बने।


वीरों की यह जननी पावन

ये गौरव है संतों का 

उपनिषदों का ज्ञान अनूठा

वेद पुरातन पंतों का 

शीश झुका सौगंध उठाएँ

नित प्रसस्ति गान बने।।


प्रण प्राण समर्पित जीवन हो

माँ तेरे शुभ चरणों में

कैसे मैं यश गान करूं

स्वल्प ज्ञान कुछ वर्णों में

नैतिकता आदर्श हमारे

भारत की पहचान बने ।।


हुतात्माओं का बलिदान 

जीवन में प्रत्यक्ष रखें ।

स्वार्थ त्यागकर निज प्राणों का

तत्वादर्श समक्ष रखें

विश्व गुरु बन जग में थाती

ऐसा शुभ वरदान बने।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

 

16 comments:

  1. बेहतरीन सृजन

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका।
      वंदेमातरम्।

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  2. स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर शानदार प्रस्तुति। आपको बहुत-बहुत बधाई।

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    1. जी सादर आभार आपका आदरणीय।
      वंदेमातरम्।

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  3. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (15-8-21) को "आजादी का मन्त्र" (चर्चा अंक-4157) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी। आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
    ------------
    कामिनी सिन्हा

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    1. बहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी।
      चर्चा में शामिल होना सदा सुखद अनुभव है मेरे लिए।
      मैं यथासंभव उपस्थित रहूंगी।
      सस्नेह, सादर।

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  4. बहुत सुंदर और सार्थक संदेश देती रचना ।
    स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ ।

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका संगीता जी, आपकी उपस्थिति सदा उत्साहवर्धन करती है ।
      सादर।

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  5. सदैव की तरह सुन्दर व हृदयस्पर्शी रचना!

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।

      उत्साह वर्धन हुआ।
      सादर।

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  6. बेहतरीन सृजन।
    सादर

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    Replies
    1. सस्नेह आभार आपका, प्रिय अनिता ।
      आपकी उपस्थिति सदा उत्साहवर्धन करती है।
      सस्नेह।

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