आज न आना कोई मधुबन मे
आज लग्यो मधुमास सखी
आज नव मधुमास की
है सुरभित मधु वात सखी,
किसलय डोले कमल दल खिले
भ्रमर करे गुंजार
कच्ची कली कचनार की
झूमे मलय संग आज
ऐसी शोभा देखने आये
स्वर्ग से, देव देवी मन भाये
सारे सुर आज बरसावे
सुरभित पारिजात
तारक दल शोभित अंबर
चंद्र भरे अनुराग गुलाल
कृष्ण नही पाहन सखी
वो राधा की श्वास
चिनमय चिदानंद माधव
बृषभानु सुता श्रृंगार
आज न आना कोई मधुबन सखी
आज राधा संग कृष्ण रचाऐ रास।।
कुसुम कोठारी ।
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