सुस्वागतम्...दी।🌷🌿 एक सुंदर रचना के साथ आपका ब्लॉग जगत में.प्रथम पग का अभिननंदन है। हम बहुत बहुत खुश दी। मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ है आपको असीम बधाई भी। खूब लिखिए और यश पाइये।
बहुत सा स्नेह आभार श्वेता, आपके गर्मा गर्म स्वागत से अभिभूत हूं आपके पथ प्रदर्शन की जरूरत पडेगी कहीं भी कुछ सही न लगे तो तुरंत बता देना मेरे लिये ये सब बिल्कुल नया और अपरिचित सा है, आपकी शुभ कामनाएं सदा मेरा मार्ग प्रशस्त करेगी पुनः शुक्रिया।
बहुत बहुत सा स्नेह श्वेता,मुझे ब्लागर बनाने का सारा श्रेय ही आपको है आप ही मुझे प्रोत्साहित करके यहां लाई थी । आपका नेह अभिराम ही धही अतुल्य है मेरे लिए। ढेर सा स्नेह।
सच कहा श्वेता जी ने वो पुराने दिन याद आ गये आपकी रचना पढकर....गूगल के उस मंच पर आपकी खूब सारी रचनाएं पढ़ी और अपनी भी शेयर की। आपकी रचनाएं तो हमेशा से ही कमाल की होती हैं कुसुम जी बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं आपको।
देवनदी के दर्द को मर्मस्पर्शी भावों में व्यक्त किया है आपने । आपकी ब्लॉग पर प्रथम रचना पढ़ने का आज अवसर मिला..अच्छा लगा । मैं गूगल प्लस से उन दिनों जुड़ी जब वह लगभग बंद होने वाला था । आपका लेखन कौशल चिंतन को प्रेरित करता है ।
सुस्वागतम्...दी।🌷🌿
ReplyDeleteएक सुंदर रचना के साथ आपका ब्लॉग जगत में.प्रथम पग का अभिननंदन है। हम बहुत बहुत खुश दी।
मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ है आपको असीम बधाई भी।
खूब लिखिए और यश पाइये।
बहुत सा स्नेह आभार श्वेता, आपके गर्मा गर्म स्वागत से अभिभूत हूं आपके पथ प्रदर्शन की जरूरत पडेगी कहीं भी कुछ सही न लगे तो तुरंत बता देना मेरे लिये ये सब बिल्कुल नया और अपरिचित सा है, आपकी शुभ कामनाएं सदा मेरा मार्ग प्रशस्त करेगी पुनः शुक्रिया।
Deleteवाह!दीदी..
ReplyDeleteबखूबी दर्द उभरा है आपने देवापगा गंगा की..
शुक्रिया पम्मी जी आपको कमेन्ट के साथ देख बहुत खुशी हुई सदा स्नेह बना रखें।
Deleteवाह....कुसुम जी
ReplyDeleteशुक्रिया नीतू जी।
Deleteवाह अद्भुत
ReplyDeleteबहुत बहुत सा स्नेह आभार सखी आपको अपनी पहली ब्लाग प्रस्तुति पर देख मन बाग बाग हो गया।
Deleteसस्नेह।
आपकी पहली रचना पढ़कर वो बीते दिन याद आये दी।
ReplyDeleteसस्नेह प्रणाम
सादर।
वो दिन कभी नहीं भूल सकती श्वेता, बहुत प्यारे स्नेह से प्रदीप्त।
Deleteबहुत बहुत सा स्नेह श्वेता,मुझे ब्लागर बनाने का सारा श्रेय ही आपको है आप ही मुझे प्रोत्साहित करके यहां लाई थी ।
ReplyDeleteआपका नेह अभिराम ही धही अतुल्य है मेरे लिए।
ढेर सा स्नेह।
सच कहा श्वेता जी ने वो पुराने दिन याद आ गये आपकी रचना पढकर....गूगल के उस मंच पर आपकी खूब सारी रचनाएं पढ़ी और अपनी भी शेयर की।
ReplyDeleteआपकी रचनाएं तो हमेशा से ही कमाल की होती हैं कुसुम जी
बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं आपको।
देवनदी के दर्द को मर्मस्पर्शी भावों में व्यक्त किया है आपने । आपकी
ReplyDeleteब्लॉग पर प्रथम रचना पढ़ने का आज अवसर मिला..अच्छा लगा । मैं गूगल प्लस से उन दिनों जुड़ी जब वह लगभग बंद होने वाला था । आपका लेखन कौशल चिंतन को प्रेरित करता है ।
देवगंगा के दर्द से बाकी सभी नदियों का दर्द भी महसूस हो रहा । गूगल प्लस ज्यादा चल नहीं पाया , जुड़े तो हम भी थे उससे ।
ReplyDeleteवाह…बहुत खूब
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