असर अब गहरा होगा
फक़त खारा पन न देख, अज़ाबे असीर होगा
मुसलसल बह गया तो फिर बस समंदर होगा ।
दिन ढलते ही आंचल आसमां का सुर्खरू होगा
रात का सागर लहराया न जाने कब सवेरा होगा।
तारों ने बिसात उठा ली असर अब गहरा होगा
चांद सो गया जाके, अंधेरों का अब पहरा होगा ।
छुपा है पर्दो में कितने,जाने क्या राज़ गहरा होगा
अब्र के छटते ही बेनकाब चांद का चेहरा होगा ।
साये दिखने लगे चिनारों पे, जाने अब क्या होगा
मुल्कों के तनाव से चनाब का पानी ठहरा होगा ।
कुसुम कोठारी।
ReplyDeleteछुपा है पर्दो में कितने,जाने क्या राज गहरा होगा
अब्र के छटंते ही बेनकाब चांद का चेहरा होगा ।
बेहतरीन प्रस्तुति सखी
बहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह !! बहुत ही सुन्दर सखी 👌👌
ReplyDeleteलाज़बाब
सादर
साये दिखने लगे चिनारों पे, जाने अब क्या होगा
ReplyDeleteमुल्कों के तनाव से चनाब का पानी ठहरा होगा ...
बहुत खूब ... इशारों में ही बहुत कुछ कह जाता है ये शेर ... इस तनाव को इन्तार्फा मिटाना संभव नहीं होता ... कमाल के शेर हैं ...
छुपा है पर्दो में कितने,जाने क्या राज़ गहरा होगा
ReplyDeleteअब्र के छटते ही बेनकाब चांद का चेहरा होगा
लाजवाब गजल....
एक से बढ़कर एक शेर।
वाह !! बहुत ख़ूब सखी 👌👌👌
ReplyDeleteफक़त खारा पन न देख, अज़ाबे असीर होगा
ReplyDeleteमुसलसल बह गया तो फिर बस समंदर होगा
बेहतरीन लेखनी। जितनी भी तारीफ करूँ कम होगी। शुभकामनाएं आदरणीय कुसुम जी।
बहुत सुंदर प्रस्तूति,कुसुम दी।
ReplyDeleteसाये दिखने लगे चिनारों पे, जाने अब क्या होगा
ReplyDeleteमुल्कों के तनाव से चनाब का पानी ठहरा होगा ...
बहुत खूब
वाह आदरणीया दीदी जी एक के बाद एक आपके ये शेर हाल फिलहाल की स्थिति में उत्पन्न भावों को साक्षात सामने लाकर रख रहे हैं
ReplyDeleteपता नही क्या होगा पर जो भी वो उत्तम हो इसी आशा के साथ सादर नमन
साये दिखने लगे चिनारों पे, जाने अब क्या होगा
ReplyDeleteमुल्कों के तनाव से चनाब का पानी ठहरा होगा ।
बहुत खूब........, सच ,हालात बहुत दुःखदाई है
साये दिखने लगे चिनारों पे, जाने अब क्या होगा
ReplyDeleteमुल्कों के तनाव से चनाब का पानी ठहरा होगा । बहुत ही खूब सखी | आज यही दारुण स्थिति से रूबरू है देश | सार्थक लेखन |