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Monday, 11 February 2019

किशोरी का मासूम स्वप्न

किशोरी का मासूम स्वप्न

एक सूरज सा वर
ढूंढ दे री मैया मोरी
मां दिखा देना चुनर की
ओट से मूझे एक बारी।

मां रंगवा देना एक
नीले अंबर सी चुनर
सुन ना मां ! जड़वा देना
झिलमिलाते  उसमें तारे।

मां चांद मत देना चाहे
चांदनी का गोटा लगा देना
मां छोटा सा घूंघट डाल
मुझे भी साजन घर जाना।

मां खनकती सतरंगी
पहना देना हाथों में चूड़ियाँ
याद आयेगी तेरी जब मां
मैं खनका दूंगी मेरी चूडियाँ ।

मां एक रुनझुन पायल
पहना देना मेरे पांवों में
बजेगी जब पायल मेरी
झंकार होगी तेरे आंगन में।

मां दूर से ही मेरा होना
अनुभव कर लेना तुम
मुझे अपने आंचल में
भर लेना मां दो हाथों से तुम।

    कुसुम कोठारी।

9 comments:

  1. हर किशोरी का बहुत ही मासूम स्वप्न होता हैं उसके शादी के बारे में ये। बहुत सुंदर,कुसुम दी।

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  2. मां एक रुनझुन पायल
    पहना देना मेरे पांवों में
    बजेगी जब पायल मेरी
    झंकार होगी तेरे आंगन में।...वाह !! क्या ख़ूब लिखा सखी मन के भावों को अप्रतिम |
    सादर

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  3. मां दूर से ही मेरा होना
    अनुभव कर लेना तुम
    मुझे अपने आंचल में
    भर लेना मां दो हाथों से तुम।


    बहुत ही भावपूर्ण, प्रणाम।
    माँँ संग बीते दिनों की यादें भी कम सुखद नहीं होती है।

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  4. बहुत ही बेहतरीन रचना सखी

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  5. मां दूर से ही मेरा होना
    अनुभव कर लेना तुम
    मुझे अपने आंचल में
    भर लेना मां दो हाथों से तुम
    किशोरी का स्वप्न.... बहुत सुन्दर... भावपूर्ण सृजन....।

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  6. बहुत सुन्दर कुसुम जी !
    आँखें भर आईं और अपनी दोंनों बेटियों की विदा की वेला याद आ गईं
    बेटियां घर से भले ही विदा हो जाएं पर माँ-बाप के दिल में तो वो हमेशा रहती ही हैं.

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  7. दी...आपकआपकी यह कविता कल से अनगिनत बार पढ़ चुके हैं पर ऐसे शब्द ही नहीं मिल रहे कि इसकी सराहना कर सकें...दी बेहद उत्कृष्ट भावपूर्ण सृजन है। आपकी अन्य रचनाओं से पृथक अभिव्यक्ति बहुत अच्छी लगी।
    बधाई दी सुंदर सृजन के लिए।

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  8. पहना देना मेरे पांवों में
    बजेगी जब पायल मेरी
    झंकार होगी तेरे आंगन में।...वाह !!

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  9. कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
    संजय भास्‍कर
    शब्दों की मुस्कुराहट
    http://sanjaybhaskar.blogspot.in

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