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Thursday 7 February 2019

आयो बहार बसंत

आयो बहार बसंत

आवो सखी आई बहार बसंत
चहूं और नव पल्लव फूले
कलियां चटकी
मौसम में मधुमास सखी री
तन बसंती मन बसंती 
और बसंती बयार सखी री
धानी चुनर ओढ के
धरा का पुलकित गात 
नई दुल्हन को जैसे
पिया मिलन की आस सखी री
पादप अंग फूले मकरंद 
मुकुंद भरमाऐ सखी री
स्वागत करो नव बसंत को
गावो मंगल गान सखी री
आयो सखी आई बहार बसंत ।

          कुसुम कोठारी ।

17 comments:

  1. लाजवाब प्रस्तुती

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  2. बेहद खूबसूरत रचना सखी

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    1. बहुत सा आभार सखी।
      सस्नेह ।

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  3. धानी चुनर ओढ के
    धरा का पुलकित गात
    नई दुल्हन को जैसे
    पिया मिलन की आस सखी री
    पादप अंग फूले मकरंद
    मुकुंद भरमाऐ सखी री........ वाह!!!

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    1. बहुत बहुत आभार हृदय तल से।

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  4. आपकी लिखी रचना सोमवार. 31 जनवरी 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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    1. सादर आभार आपका संगीता जी मेरी काफी पुरानी रचना को आप खोज कर ले जा रहीं हैं । पांच लिंक पर जाना वैसे भी सुखद एहसास है उस पर ये रचना मुझे स्वयं को भी बहुत दिनों बाद देखने को मिली ,वैसे ये मेरे लेखन के शुरुआती दौर में लिखी रचनाओं में से एक है यहां 2019में डाली थी पर शायद 2016 में लिखी थी।
      अपने शुरुआती दौर के सृजन हृदय के पास के होते हैं
      सहज सरल।
      सादर आभार आपका।

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  5. मंत्रमुग्ध कर रहा है यह बसंत।

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    1. सच बसंत हमारे कोलकाता में इतना रंगीन होता है मां सरस्वती की पूजा घर घर देखने को मिलती है बसंती वस्त्र पहने बाल बालाएं इतने प्यारे लगते हैं अवर्णनीय ।
      उस पर पूजा का उत्साह प्रसाद मां वाग्देवी की अर्चना सब कुछ आनंदित करता सा।
      हृदय से आभार आपका अमृता जी जो बसंत आपको आह्लाद से भर रहा है।
      सस्नेह।

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    2. हमारे बिहार में भी ऐसा ही दृश्य देखने को मिलता है कुसुम जी, आप की इस पुरानी रचना को पढ़ आनन्द आ गया,मन बसंती हो गया,अति सुन्दर सृजन,सादर नमस्कार आपको

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  6. धानी चुनर ओढ के
    धरा का पुलकित गात
    नई दुल्हन को जैसे
    पिया मिलन की आस सखी री
    पादप अंग फूले मकरंद
    मुकुंद भरमाऐ सखी री
    वाह!!!
    बहुत ही मनमोहक लाजवाब सृजन
    फाग और बसंत के राग में आपकी लेखनी का कोई सानी नहीं।

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  7. बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी ,आपने सच ही कहा है प्राकृतिक सौंदर्य मेरी लेखनी के सेहत विटामिन है ।
    आपकी विशिष्ट प्रतिक्रिया मेरे सृजन को बहुमूल्य उपहार है।
    सस्नेह।

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  8. मौसम में मधुमास सखी री
    तन बसंती मन बसंती
    और बसंती बयार सखी री
    क्या बात है प्रिय कुसुम बहन!
    छायावादी कवियों सी मधुर शैली में अत्यन्त मनमोहक प्रस्तुति।
    इस बसंत से मन में वसंत छा गया। ढेरों शुभकामनाएं और बधाई आपको।

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  9. और इतनी प्यारी रचना शुरुआती दौर की है तो और भी खास है 🌷💐

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  10. अति मनमोहक सृजन दी।
    -----
    केसर बेसर डाल-डाल
    धरणी पीयरी चुनरी सँभाल
    उतर आम की फुनगी से
    सुमनों का मन बहकाये फाग
    तितली भँवरें गाये नेह के छंद
    सखि रे! फिर आया बसंत
    -----
    प्रणाम दी
    सादर।

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  11. बहुत सुंदर बासंती बहार की तरह

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