आया बसंत मनभावन
हरि आओ ना।
राधा हारी कर पुकार
हिय दहलीज पर बैठे हैं,
निर्मोही नंद कुमार
कालिनी कूल खरी गाये
हरि आओ ना।
फूल फूल डोलत तितलियां
कोयल गाये मधु रागनियां
मयूर पंखी भई उतावरी
सजना चाहे भाल तुम्हारी
हरि आओ ना।
सतरंगी मौसम सुरभित
पात पात बसंत रंग छाय
गोप गोपियां सुध बिसराय
सुनादो मुरली मधुर धुन आय
हरि आओ ना।
सृष्टि सजी कर श्रृंगार
कदंब डार पतंगम डोराय
धरणी भई मोहनी मन भाय
कुमुदिनी सेज सजाय।
हरि आओ ना।
कुसुम कोठारी।
हरि आओ ना।
राधा हारी कर पुकार
हिय दहलीज पर बैठे हैं,
निर्मोही नंद कुमार
कालिनी कूल खरी गाये
हरि आओ ना।
फूल फूल डोलत तितलियां
कोयल गाये मधु रागनियां
मयूर पंखी भई उतावरी
सजना चाहे भाल तुम्हारी
हरि आओ ना।
सतरंगी मौसम सुरभित
पात पात बसंत रंग छाय
गोप गोपियां सुध बिसराय
सुनादो मुरली मधुर धुन आय
हरि आओ ना।
सृष्टि सजी कर श्रृंगार
कदंब डार पतंगम डोराय
धरणी भई मोहनी मन भाय
कुमुदिनी सेज सजाय।
हरि आओ ना।
कुसुम कोठारी।
बहुत मनमोहक मनुहार राधा रानी जी की बहुत प्यारी रचना सखी
ReplyDeleteआपकी त्वरित प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली सखी ।
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteबहुत सा आभार आपका आदरणीय ।
Deleteराधा हारी कर पुकार
ReplyDeleteहिय दहलीज पर बैठे हैं,
निर्मोही नंद कुमार
कालिनी कूल खरी गाये
हरि आओ ना।
लाजबाब... ,प्रशंसा से परे ,सादर स्नेह कुसुम जी
प्रिय कामिनी जी आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से सचमुच मन आह्लादित हो जाता है,
Deleteसस्नेह आभार मित्र जी ढेर सा ।
बहुत समय के बहुत खूबसूरत रचना...., राधा कृष्ण को लेकर पढ़ी । मनभावन रचना ।
ReplyDeleteआपको पसंद आई सच मन खुश हुवा मीना जी आपकी भाव भीनी सराहना से रचना मुखरित हुई।
Deleteसस्नेह आभार ।
सृष्टि सजी कर श्रृंगार
ReplyDeleteकदंब डार पतंगम डोराय
धरणी भई मोहनी मन भाय
कुमुदिनी सेज सजाय।
हरि आओ ना।!!!!!!!!!!
बहुत ही भावपूर्ण आह्वान हरि को प्रिय कुसुम बहन |मधुर मनोहर और मनभावन शब्दावली और मन के कोमलतम भाव हरि को जरुर भाये होंगे बहना | सुंदर रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएं |
रेनू बहन आपकी स्नेह सिक्त प्रतिक्रिया और साथ ही सुंदर शुभेक्षा किसी वरदान से कम नही भाव भीनी प्रतिपंक्तियां रचना के भाव बढ़ा गई।
Deleteआपका स्नेह अतुल्य है।
सस्नेह आभार बहन ।
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/02/107.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteढेर सा आभार¡
Deleteमेरी रचना को मित्र मंडली में शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार राकेश जी।
भावपूर्ण माधुर्य रस से सराबोर रचना..
ReplyDeleteसस्नेह आभार पम्मी बहन आपकी प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली ।
Deleteनिर्मोही नंद कुमार
ReplyDeleteकालिनी कूल खरी गाये
हरि आओ ना।
लाजबाब...
जी सादर आभार आपका प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया का।
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