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Sunday 30 September 2018

बन के नव कोंपल

 अभिलाष

शाख पर बन नव कोंपल
मुस्कुराना चाहती हूं ।

बन के मोती पहली बरखा के
धरा पे बिखरना चाहती हूं ।

मनोभाव एक चिर सुख का
मन में भरना चाहती हूं ।

आत्मानंद का सुंदर शाश्वत
अहसास बनना चाहती हूं ।

          कुसुम कोठारी ।

1 comment:

  1. मैं धरा का फूल सुंदर
    महक बिखेरना चाहती हूं बहुत सुंदर भावों से सजी रचना सखी

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