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Thursday 27 September 2018

गीत स्वागत दिवाकर

अवनि से अंबर तक दे सुनाई
मौसम का रुनझुन संगीत
दिवाकर के उदित होने का
दसों दिशाऐं गाये मधुर गीत।

कैसी ऋतु बौराई मन बौराया
खिल खिल जाय बंद कली
कह दो उड़-उड़ आसमानों से
रुत सुहानी आई मनभाई भली।

धरा नव रंगों का पहने चीर
फूलों में रंगत मनभावन
सजे रश्मि सुनहरी द्रुम दल
पाखी करे कलरव,मुग्ध पवन ।

सैकत नम है ओस कणों से
पत्तों से झर झरते मोती
मंदिर शीश कंगूरे चमके,बोले
पावन बेला क्यों खोती।

       कुसुम कोठारी।

10 comments:

  1. बहुत सुंदर भावों से सजा है सखी आपका यह स्वागत गीत 👌👌

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    1. आपकी सरस प्रतिक्रिया सखी सस्नेह आभार ।

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  2. बहुत ही सुंदर रचना,कुसुम दी। 👌👌👌

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    1. सस्नेह आभार प्रिय ज्योति जी ।

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  3. वाह सखी कमाल की रचना।

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    1. सखी आपकी प्रतिक्रिया सदा मेरे साथ होती है जो सदा मन को खुशी देनेवाली होती है सस्नेह आभार

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  4. धरा नव रंगों का पहने चीर
    फूलों में रंगत मनभावन
    सजे रश्मि सुनहरी द्रुम दल
    पाखी करे कलरव,मुग्ध पवन ।
    .
    वाह, बहुत ख़ूब

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    1. जी बहुत सा आभार अमित जी,
      आपकी सराहना से रचना सार्थक हुई।

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  5. उम्दा उम्दा उम्दा
    रंगसाज़

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