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Monday 27 May 2019

आये बादल

छाये बादल

छाने लगे अब थोड़े-थोड़े बादल लिये काली कोर
क्षितिज तक फैले कभी उस छोर कभी इस छोर।

पृथा पुलक रही मन मीत के आने की आहट सुन
कितनी क्लांत श्रृंगार विहीन हो बैठी थी विरहन ।

कृष्ण पिया को देख सिहर उठी नदिया मन हारी
कृषकाय, सर्व हारा, लुप्त प्रायः, रिक्त बेचारी।

वनप्रिया कुहुक उठी वन में ले मन अनुराग
श्याम छवि बादलों की भर गई मन में राग।

किसानों के हाथों में हल बीज रहे हुलक
आंगन उनके नन्हे नाचे आस लिये पलक ।
               
                 कुसुम कोठारी।

18 comments:

  1. वनप्रिया कुहुक उठी वन में ले मन अनुराग
    श्याम छवि बादलों की भर गई मन में राग। बहुत ही बेहतरीन रचना सखी 👌👌

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    1. बहुत बहुत आभार सखी आपकी मनभावन प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला ।
      सस्नेह।

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  2. बेहतरीन सृजन दी
    सादर

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    1. ढेर सा स्नेह आभार बहना।

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  3. पृथा पुलक रही मन मीत के आने की आहट सुन
    कितनी क्लांत श्रृंगार विहीन हो बैठी थी विरहन ।

    अपनी अपनी नियति !
    सुंदर सृजन, प्रणाम।

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    1. बहुत बहुत आभार सार्थक सक्रिय प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली ।
      सस्नेह ।

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  4. वनप्रिया कुहुक उठी वन में ले मन अनुराग
    श्याम छवि बादलों की भर गई मन में राग।
    वाह बहना बहुत ही शानदार भाव पिरोये हैं रचना में !!!! सस्नेह --

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    1. रेणु बहन आपकी प्रति पंक्तियों में भी नेह अनुराग छलक रहा है सच रचना सार्थक हुई।
      आपक स्नेह अतुल्य है।
      ढेर सा स्नेह।

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  5. वनप्रिया कुहुक उठी वन में ले मन अनुराग
    श्याम छवि बादलों की भर गई मन में राग।
    अत्यन्त सुन्दर .. लाजवाब सृजन कुसुम जी ।

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  6. प्रिय मीना जी आपकी प्यारी सी प्रतिक्रिया सदा मन में उत्साह का संचार करती है।
    सस्नेह आभार।

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  7. लाज़वाब शब्द चित्र। बहुत सुंदर...

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    1. सादर आभार आदरणीय आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई
      सादर।

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  8. पृथा पुलक रही मन मीत के आने की आहट सुन
    कितनी क्लांत श्रृंगार विहीन हो बैठी थी विरहन ।
    बहुत सुंदर भाव ...,लाज़बाब

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    1. बहुत बहुत आभार आपका प्रोत्साहन मिला ।

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  9. लाज़बाब रचना कुसुम

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    1. सादर आभार दी आशीर्वाद दिजीये।

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  10. आपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" शनिवार 1 जून 2019 को साझा की गई है......... "साप्ताहिक मुखरित मौन" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार मीना जी मै अवश्य उपस्थित रहूंगी। मुखरित मौन में आना मेरे लिए सौभाग्य का विषय है।
      साभार।

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