प्रकृती के मोहक रंग...
बिछे गलीचे धानी
मिले न जिसकी सानी।
बांधा घेरा फूलों ने
पीले लाल बहु गुलों ने।
सजे बैंगनी कलियाँ
डाली डाली रंगरलियाँ ।
मन हर्षित कर डारे
आई झूम बहारें ।
कैसी ये फुलवारी
गंध गंध हर डारी ।
कौन है इस का माली ?
जो जग का वनमाली ।
उस ने सौगातें दे डाली
झोली किसी की रहे ना खाली।
महक लिये उड़ी पवन मतवाली
आंगन घर द्वार गली गली।
श्वास श्वास केसर समाई
ये इन फूलों की कमाई।
कुसुम कोठारी।
बिछे गलीचे धानी
मिले न जिसकी सानी।
बांधा घेरा फूलों ने
पीले लाल बहु गुलों ने।
सजे बैंगनी कलियाँ
डाली डाली रंगरलियाँ ।
मन हर्षित कर डारे
आई झूम बहारें ।
कैसी ये फुलवारी
गंध गंध हर डारी ।
कौन है इस का माली ?
जो जग का वनमाली ।
उस ने सौगातें दे डाली
झोली किसी की रहे ना खाली।
महक लिये उड़ी पवन मतवाली
आंगन घर द्वार गली गली।
श्वास श्वास केसर समाई
ये इन फूलों की कमाई।
कुसुम कोठारी।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26 -05-2019) को "मोदी की सरकार"(चर्चा अंक- 3347) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
....
अनीता सैनी
बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteसस्नेह।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 27 मई 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसादर आभार सखी ।
Deleteवाह बहुत ही मनमोहक रचना सखी 👌
ReplyDeleteबहुत सुंदर.....
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी
Deleteप्रकृति का ये गलीचा बड़ा ही मनभावन है प्रिय कुसुम बहन |
ReplyDeleteप्रकृति ने अपने गलीचे में ये मनमोहक रंग ना भरे होते जीवन में ये कौतूहल कहाँ से पनपता ? सुंदर , भावपूर्ण रचना गलीचे के बहाने से | सस्नेह --
सस्नेह आभार रेणु बहन मेरे साधारण प्रयास को आपने खास बना दिया ।स्नेह वंदे बहन।
Deleteवाह
ReplyDeleteजी सादर आभार आपका
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteजी सादर आभार आपका ।
Deleteवाह !! बहुत खूब !! प्रकृति की मनोहर आभा से सजी सुन्दर कृति ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार मीना जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला ।
Deleteसस्नेह।
किस मीत का संग हो, तो घास के हरे ग़लीचे से खूबसूरत और कुछ भी नहीं।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना।
प्रणाम।
बहुत बहुत आभार आपका उत्साह वर्धन हुवा ।
Deleteमनमोहक रचना..
ReplyDeleteबहुत सा स्नेह पम्मी जी ।
ReplyDeleteकैसी ये फुलवारी
ReplyDeleteगंध गंध हर डारी ।
कौन है इस का माली ?
जो जग का वनमाली ।
बहुत ही खूबसूरत... अद्भुत शब्दविन्यास
वाह!!!
सस्नेह आभार सखी ।
Deleteहरे ग़लीचे खूबसूरत
ReplyDeleteजी आभार आपका बहुत सा।
Deleteसुन्दर अभिव्यक्ति
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