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Friday 24 May 2019

गलीचा

प्रकृती के मोहक रंग...

बिछे गलीचे धानी
मिले न जिसकी सानी।

बांधा घेरा फूलों ने
पीले लाल बहु गुलों ने।

सजे बैंगनी कलियाँ
डाली डाली रंगरलियाँ ।

मन हर्षित  कर डारे
आई झूम बहारें ।

कैसी ये फुलवारी
गंध गंध हर डारी ।

कौन है इस का माली ?
जो जग का वनमाली ।

उस ने सौगातें दे डाली
झोली किसी की रहे ना खाली।

महक लिये उड़ी पवन मतवाली
आंगन घर द्वार गली गली।

श्वास श्वास केसर समाई
ये इन फूलों की कमाई।

     कुसुम कोठारी।

24 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26 -05-2019) को "मोदी की सरकार"(चर्चा अंक- 3347) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ....
    अनीता सैनी

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    1. बहुत बहुत आभार आपका।
      सस्नेह।

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 27 मई 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. वाह बहुत ही मनमोहक रचना सखी 👌

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  4. बहुत सुंदर.....

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    1. बहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी

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  5. प्रकृति का ये गलीचा बड़ा ही मनभावन है प्रिय कुसुम बहन |
    प्रकृति ने अपने गलीचे में ये मनमोहक रंग ना भरे होते जीवन में ये कौतूहल कहाँ से पनपता ? सुंदर , भावपूर्ण रचना गलीचे के बहाने से | सस्नेह --

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    1. सस्नेह आभार रेणु बहन मेरे साधारण प्रयास को आपने खास बना दिया ।स्नेह वंदे बहन।

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  6. सुन्दर रचना

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  7. वाह !! बहुत खूब !! प्रकृति की मनोहर आभा से सजी सुन्दर कृति ।

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    1. बहुत बहुत आभार मीना जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला ।
      सस्नेह।

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  8. किस मीत का संग हो, तो घास के हरे ग़लीचे से खूबसूरत और कुछ भी नहीं।
    बहुत सुंदर रचना।
    प्रणाम।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका उत्साह वर्धन हुवा ।

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  9. बहुत सा स्नेह पम्मी जी ।

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  10. कैसी ये फुलवारी
    गंध गंध हर डारी ।
    कौन है इस का माली ?
    जो जग का वनमाली ।
    बहुत ही खूबसूरत... अद्भुत शब्दविन्यास
    वाह!!!

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  11. हरे ग़लीचे खूबसूरत

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    1. जी आभार आपका बहुत सा।

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  12. सुन्दर अभिव्यक्ति

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