मां
भारत में मातृ दिवस मई महीने के दुसरे रविवार को मनाया जाता है जो आज 12 मई को है।
सभी को मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
मदर्स डे, मातृत्व दिवस, वैसे तो मां के लिये कोई एक दिन साल में निश्चित करना एक विचित्र सी स्थिति है, पर फिर जब पाश्चात्य अनुसरण के पीछे ऐसा कर ही रहे हैं, जैसे और भी बहुत सी वहां की संस्कृति के अनुरूप हम बदल रहे हैं तो आज एक ख्याल ऐसा भी मां मेरी मां और पुरे विश्व में हर मां के लिये....
जग में मेरा अस्तित्व तेरी पहचान है मां
भगवान से पहले तूं है भगवान के बाद भी तूं ही है मां
मेरे सारे अच्छे संस्कारों का उद्गम है तूं मां
पर मेरी हर बुराई की मैं खुद दायी हूं मां
तूने तो सब सद्गुणों को ही दिया था ओ मेरी मां
इस स्वार्थी संसार ने सब स्वार्थ सीखा दिये मां ।
तुम तो मां
जिंदगी का पुख्ता किला हो
उस किले की आधारशिला हो
सुदृढ़ जमीन हो
घनेरा आसमां भी तुम हो मां
जिंदगी का सिलसिला हो
मंजिल के मील का पत्थर भी तुम
घनी शीतल छांव हो
उर्जा से भरा सूर्य हो
मिश्री की मिठास हो
दूध का कटोरा हो
फलों की ताजगी हो
श्री फल सी वरदाता हो।
यही कहूंगी....
तूने मुझे जन्म दिया मां मेरा ये सौभाग्य रहा
तेरे कोमल कर कमलों का सर पर आशीर्वाद रहा।
तूने मुझे जतन से पाला सारा जग ही वार दिया
अब सोचूं ओ मां मेरी, मैने तो तुझ को कुछ ना दिया।
कुसुम कोठारी।
भारत में मातृ दिवस मई महीने के दुसरे रविवार को मनाया जाता है जो आज 12 मई को है।
सभी को मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
मदर्स डे, मातृत्व दिवस, वैसे तो मां के लिये कोई एक दिन साल में निश्चित करना एक विचित्र सी स्थिति है, पर फिर जब पाश्चात्य अनुसरण के पीछे ऐसा कर ही रहे हैं, जैसे और भी बहुत सी वहां की संस्कृति के अनुरूप हम बदल रहे हैं तो आज एक ख्याल ऐसा भी मां मेरी मां और पुरे विश्व में हर मां के लिये....
जग में मेरा अस्तित्व तेरी पहचान है मां
भगवान से पहले तूं है भगवान के बाद भी तूं ही है मां
मेरे सारे अच्छे संस्कारों का उद्गम है तूं मां
पर मेरी हर बुराई की मैं खुद दायी हूं मां
तूने तो सब सद्गुणों को ही दिया था ओ मेरी मां
इस स्वार्थी संसार ने सब स्वार्थ सीखा दिये मां ।
तुम तो मां
जिंदगी का पुख्ता किला हो
उस किले की आधारशिला हो
सुदृढ़ जमीन हो
घनेरा आसमां भी तुम हो मां
जिंदगी का सिलसिला हो
मंजिल के मील का पत्थर भी तुम
घनी शीतल छांव हो
उर्जा से भरा सूर्य हो
मिश्री की मिठास हो
दूध का कटोरा हो
फलों की ताजगी हो
श्री फल सी वरदाता हो।
यही कहूंगी....
तूने मुझे जन्म दिया मां मेरा ये सौभाग्य रहा
तेरे कोमल कर कमलों का सर पर आशीर्वाद रहा।
तूने मुझे जतन से पाला सारा जग ही वार दिया
अब सोचूं ओ मां मेरी, मैने तो तुझ को कुछ ना दिया।
कुसुम कोठारी।
माँ को संबोधित बेहतरीन लेखन हेतु साधुवाद । मातृदिवस की अशेष शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteपुरूषोत्तम जी आपकी सराहनीय टिप्पणी से रचना को सार्थकता मिली ।
Deleteऔर मुझे लिखने के लिए उत्साह।
सादर आभार आपका
बहुत सुंदर प्रस्तुति सखी👌👌🌹
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया सदा उत्साह बढाती है ।
Deleteवाह्ह्ह्ह... मन छूती अत्यंत सराहनीय सृजन दी...
ReplyDeleteमाँ को मातृ दिवस की बधाई..
हास्यास्पद है पर है तो आधुनिक रीत ही
है न दी।
बहुत बहुत स्नेह श्वेता सच कहा आपने मैं तो बस भाव पन्नो पर लिख देती हूं पर मां को कभी नही बोल पाती "हेप्पी मदर्स डे" । बस फोन में बात कर लेती हूं।
Deleteबहुत सा स्नेह आभार प्रोत्साहित करती प्रतिपंक्तियां आपकी।
हृदयस्पर्शी प्रस्तुति ...., प्रेरक और सराहनीय । आपके विचारों से पूर्णतया सहमति । माँ की महत्ता के अभिनन्दन के लिए जीवन का हर क्षण भी कम है । अत्यन्त सुन्दर उद्गारों का सृजन ।
ReplyDeleteआपकी भाव पूर्ण प्रतिपंक्तियां मेरे सृजन का पुरस्कार है मीना जी सस्नेह आभार आपका ।
Deleteबहुत सुंदर व्याख्या।
दिल को छूती बहुत ही सुंदर रचना कुसुम दी। मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत सा स्नेह ज्योति बहन आप सब का स्नेह बहुमूल्य है मेरे लिए ।
Deleteसस्नेह।
सुन्दर
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय। सक्रिय प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई
Deleteबहुत ही सुन्दर दिल को छूती लाजवाब रचना कुसुम जी !...मातृदिवस की शुभकामनाएं आपको ।
ReplyDeleteआपको भी सुधा जी मातृ दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं
Deleteआपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई
सस्नेह आभार।
ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (13-05-2019) को
" परोपकार की शक्ति "(चर्चा अंक- 3334) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
....
अनीता सैनी
अनिता जी आपका बहुत बहुत आभार मेरी रचना को चर्चा मंच पर रखने के लिये
Deleteसाभार सस्नेह।
तूने मुझे जन्म दिया मां मेरा ये सौभाग्य रहा
ReplyDeleteतेरे कोमल कर कमलों का सर पर आशीर्वाद रहा।
बहुत सुंदर हृदयस्पर्शी रचना ,माँ का स्नेह और आशीर्वाद स्थूल और सूक्ष्म दोनों रूपों में अपने बच्चों के साथ होता हैं ,आज तो हम भी माँ हैं फिर भी माँ का आँचल मिलते उनकी याद आते हमखुद को बच्चे जैसा महसूस करने लगते हैं ,सादर नमस्कार कुसुम जी
हम मां हैं पर हमे भी मां का आंचल चहिए
Deleteदूर से ही सही उनका पास होने का अहसास चाहिए।
बहुत बहुत प्यारी प्रतिक्रिया आपकी मन मोह गई
सस्नेह आभार कामिनी बहन ।
कोई दे भी क्या सकता है कुछ माँ को ...
ReplyDeleteजो देती है सब को सब कुछ उसको देना किसी के बस में कहाँ ... अच्छी रचना है ...
सादर आभार।
Deleteआपकीविस्तृत प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला ।
सादर ।
अक्सर कुछ रचनाएँ अन्तस्थ को प्रभावित कर जाती है मन के भावों को शब्दों पिरोना आपको बखूबी आता है...ढेरों शुभकामनायें ।
ReplyDeleteजी आपकी मनभावन प्रतिक्रिया से मन को प्रसन्नता मिली और रचना को प्रवाह।
Deleteसादर आभार।
जी संजय जी मेरा भरसक प्रयत्न रहता है सब लिंक पर जाऊं पर कई बार ऐसा नही हो पाता अब कोशिश रहेगी ।
ReplyDeleteसादर
माँ-बाबा जितना हमारे लिए करते हैं.
ReplyDeleteहम उनके लिए कुछ भी नहीं कर पाते.
उनकी स्मृति हमारी सबसे बड़ी पूँजी है.
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (11 -5 -2020 ) को " ईश्वर का साक्षात रूप है माँ " (चर्चा अंक-3699) पर भी होगी, आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
क्षमा चाहती हूँ आमंत्रण में मैंने दिनांक गलत लिख दिया हैं ,आज 12 -5 -2020 की प्रस्तुति में आपका हार्दिक स्वागत हैं। असुविधा के लिए खेद हैं।
Deleteहम सब के मन की कसक को आपने इतनी आसानी से शब्दों में उतार दिया कुसुम जी.. वाह
ReplyDeleteबहुत सुंदरभाव माँ के लिए
ReplyDeleteसखि