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Sunday 3 March 2019

शाम का ढलता सूरज

शाम का ढलता सूरज

शाम का ढलता सूरज
उदास किरणें थक कर
पसरती सूनी मुंडेर पर
थमती हलचल धीरे धीरे
नींद के आगोश में सिमटती
वो सुनहरी चंचल रश्मियाँ
निस्तेज निस्तब्ध निराकार
सुरमई संध्या का आंचल
तन पर डाले मुँह छुपाती
क्षितिज के उस पार अंतर्धान
समय का निर्बाध चलता चक्र
कभी हंसता कभी  उदास
ये प्रकृति का दृश्य है या फिर
स्वयं के मन का परिदृश्य
वो ही प्रतिध्वनित करता
जो निज की मनोदशा स्वरूप है
भुवन वही परिलक्षित करता
जो हम स्वयं मन के आगंन में
सजाते हैं खुशी या अवसाद
शाम का ढलता सूरज क्या
सचमुच उदास....... ?

         कुसुम कोठारी ।

25 comments:

  1. समय का निर्बाध चलता चक्र
    कभी हंसता कभी उदास
    ये प्रकृति का दृश्य है या फिर
    स्वयं के मन का परिदृश्य
    वो ही प्रतिध्वनित करता
    जो निज की मनोदशा स्वरूप है बहुत ही बेहतरीन रचना सखी 👌👌👌

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    1. आपकी भावनात्मक प्रतिक्रिया से मन खुश हुवा सखी ।
      सस्नेह ।

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  2. क्षितिज के उस पार अंतर्धान
    समय का निर्बाध चलता चक्र
    कभी हंसता कभी उदास
    ये प्रकृति का दृश्य है या फिर
    स्वयं के मन का परिदृश्य.. वाह सखी बेहतरीन
    सादर

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    1. बहुत सा आभार सखी उत्साह वर्धन के लिये।
      सस्नेह ।

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  3. बहुत ही सुंदर चित्रण साँझ का

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    Replies
    1. जी बहुत सा आभार आपका उत्साह वर्धन के लिये

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  4. नींद के आगोश में सिमटती
    वो सुनहरी चंचल रश्मियाँ
    निस्तेज निस्तब्ध निराकार ....., ढलते सूरज के साथ साँझ का मनोरम वर्णन ।


    ््

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    1. बहुत बहुत आभार मीना जी आपकी प्रतिक्रिया से मन को खुशी मिली

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  5. ब्लॉग बुलेटिन टीम की और मेरी ओर से आप सब को महाशिवरात्रि पर बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ |


    ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 04/03/2019 की बुलेटिन, " महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. शिवम जी आपका हृदय तल से आभार, ब्लॉग बुलेटिन में मेरी रचना को शामिल करने के लिए । सादर।

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  6. सुंदर चित्रांकन शब्दों की कुची से।

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    1. बहुत सा आभार विश्व मोहन जी आपकी सक्रिय प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली ।
      सादर।

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  7. सजाते हैं खुशी या अवसाद
    शाम का ढलता सूरज क्या
    सचमुच उदास....... ?
    बहुत-बहुत सुंदर रचना। शुभकामनाएं आदरणीय ।

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    1. बहुत बहुत आभार पुरुषोत्तम जी। आपकी सराहना से रचना को सार्थकता मिली।
      सादर।

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  8. आपकी लिखी रचना आज ," पाँच लिंकों का आनंद में " बुधवार 6 मार्च 2019 को साझा की गई है..
    http://halchalwith5links.blogspot.in/
    पर आप भी आइएगा..धन्यवाद।

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    1. पम्मी जी आभार आपके इस स्नेह का
      मेरी रचना को पांच लिंकों में शामिल किया आपने मुझे बहुत हर्ष हुवा ।

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  9. कभी हंसता कभी उदास
    ये प्रकृति का दृश्य है या फिर
    स्वयं के मन का परिदृश्य
    बहुत सुंदर... रचना ,स्नेह

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    1. बहुत गहन पंक्तियों पर आपकी निगाह कामिनी जी बहुत सा स्नेह आभार ।

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  10. शाम का ढलता सूरज क्या
    सचमुच उदास....... ?
    ....बहुत-बहुत सुंदर रचना।

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    1. बहुत बहुत आभार संजय जी। आपकी सराहना से रचना को सार्थकता मिली ।

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  11. बहुत सुंदर ..मौन बिम्ब से सजी मुखर रचना दी..वाह्ह्ह👌

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    Replies
    1. स्नेह स्नेह और स्नेह श्वेता मेरे ब्लॉग पर आपकी सार्थक प्रतिक्रिया से चार चांद सज गये।
      सस्नेह।

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  12. जो हम स्वयं मन के आगंन में
    सजाते हैं खुशी या अवसाद
    शाम का ढलता सूरज क्या
    सचमुच उदास....... ?
    संध्या सुन्दरी का लाजवाब शब्दचित्र...
    वाह!!!

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    Replies
    1. बहुत सा आभार सुधा जी आपकी प्रतिक्रिया से मन खुश हुवा ।
      सस्नेह ।

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  13. ढलते सूरज को विविध आयाम से लिखना का सार्थक प्रयास ...
    सुन्दर अभिव्यक्ति ...

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