Followers

Thursday 19 January 2023

भावों के मोती


 भावों के मोती जब बिखरे

मन की वसुधा हुई सुहागिन


आज मचलती मसी बिखेरे

माणिक मुक्ता नीलम हीरे

नवल दुल्हनिया लक्षणा की

ठुमक रही है धीरे-धीरे

लहरों के आलोडन जैसे

हुई लेखनी भी उन्मागिन।।


जड़ में चेतन भरने वाली

कविता हो ज्यों सुंदर बाला

अलंकार से मण्डित सजनी

स्वर्ण मेखला पहने माला

शब्दों से श्रृंगार सजा कर

निखर उठी है कोई भागिन।


झरने की धारा में बहती

मधुर रागिनी अति मन भावन

सुभगा के तन लिपटी साड़ी

किरणें चमक रही है दावन

वीण स्वरों को सुनकर कोई

नाच रही लहरा कर नागिन।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

23 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार 21 जनवरी 2023 को 'प्रतिकार फिर भी कर रही हूँ झूठ के प्रहार का' (चर्चा अंक 4636) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बहुत बहुत आभार आपका रविन्द्र जी चर्चा में स्थान देने के लिए।
      सादर सस्नेह।

      Delete
  2. मन के उठते भाव को भाकूबी आप शबों का जामा पहनाती हैं ...
    लाजवाब भावपूर्ण रचना ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी हृदय से आभार आपका उत्साहवर्धन के लिए।
      सृजन मुखरित हुआ।
      सादर।

      Delete
  3. आपकी लिखी रचना सोमवार 6 मार्च 2023 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीय संगीत जी पाँच लिंक पर वो भी आपके सौजन्य से आना सदा अभिभूत करता है।
      सहृदय आभार आपका।
      सादर सस्नेह।
      मैं सभी लिंक्स पर भ्रमण कर आई हूं, शानदार प्रस्तुति।

      Delete
  4. मन की वसुधा हुई सुहागिन.. प्रतीकों और बिम्बों का सुंदर चित्रांकन.. अतीव सुंदर लिखा है.. आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 🖍️🖍️💐💐

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी,आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      सस्नेह।

      Delete
  5. जड़ में चेतन भरने वाली
    कविता हो ज्यों सुंदर बाला
    अलंकार से मण्डित सजनी
    स्वर्ण मेखला पहने माला
    भावों के मोती सरस शब्दावली के संगम से पूरी आब से चमक उठे । रंगोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ कुसुम जी!

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी आप की स्नेहिल प्रतिक्रिया सदा मेरे लेखन का संबल है।
      सस्नेह।

      Delete
  6. आज मचलती मसी बिखेरे

    माणिक मुक्ता नीलम हीरे

    नवल दुल्हनिया लक्षणा की

    ठुमक रही है धीरे-धीरे

    लहरों के आलोडन जैसे

    हुई लेखनी भी उन्मागिन।
    वाह!!!
    सच में कुसुम जी ! लक्षणा को नवल दुल्हनिया सा श्रृंगारित कर आपकी लेखनी हमेशा उन्मादित में रचती है अद्भुत रचनाएं

    और हमेशा यूँ ही रचती रहे माँ सरस्वती की कृपा रहे आप पर हमेशा ।
    रंगोत्सव की अनंत शुभकामनाएं ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सुधा जी आपकी नेह सिक्त विशेष प्रतिक्रिया लेखन को गति प्रदान करती है।
      सस्नेह आभार आपका, आपको भी सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं।

      Delete
  7. Replies
    1. जी हृदय से आभार आपका।
      सस्नेह।
      ब्लॉग पर सदा प्रतिक्षा रहेगी आपकी।

      Delete
  8. हमेशा की तरह मन को छूने वाली सुन्दर रचना प्रिय कुसुम बहन।भावों के मोती बिखर कर मन की वसुधा का शृंगार तो करते हैं ही।इस शृंगार से काव्य रसिक भी तृप्त होते हैं।सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई आपको।होली की हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार करें ♥️♥️🙏

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी व्याख्यात्मक प्रतिक्रिया से सृजन को नये आयाम मिले प्रिय रेणु बहन।
      सस्नेह आभार आपका एवं अनंत शुभकामनाएं 🌹

      Delete
  9. आहा अति मनभावन क्या सुंदर शब्द-शिल्प है लाज़वाब दी।
    आपकी रचनाओं की अलग बात है सचमुच।
    प्रणाम दी
    सस्नेह।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सस्नेह आभार आपका श्वेता आपकी प्रतिक्रिया से लेखन को नव उर्जा मिली।
      सस्नेह।

      Delete
  10. आज मचलती मसी बिखेरे

    माणिक मुक्ता नीलम हीरे

    नवल दुल्हनिया लक्षणा की

    ठुमक रही है धीरे-धीरे

    लहरों के आलोडन जैसे

    हुई लेखनी भी उन्मागिन।
    जी उम्दा अभिव्यक्ति , सादर ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी सुलेखनी से लेखन को सराहना मिली, हृदय से आभार आपका आदरणीय।
      सादर

      Delete

  11. जड़ में चेतन भरने वाली

    कविता हो ज्यों सुंदर बाला

    अलंकार से मण्डित सजनी

    स्वर्ण मेखला पहने माला

    शब्दों से श्रृंगार सजा कर

    निखर उठी है कोई भागिन।

    अति सुंदर,होली की हार्दिक शुभकामनायें आपको कुसुम जी

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदय से आभार आपका कामिनी जी, आपकी प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ।
      आपको भी सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं 🌷।

      Delete
    2. हृदय से आभार आपका कामिनी जी, आपकी प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ।
      आपको भी सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं 🌷।

      Delete