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Monday 13 December 2021

फीकी ऋतुआँ


 फीकी ऋतुआ़ँ


आला लीला साँझ सकारा

कोर हिय के प्रीत जागे

पाहुनो घर आय रह्यो है

फागुनी सो रंग सागे।।


घणा दिना तक काग उडाया

बाँटां जोई है राताँ 

छैल भँवर बिन किने सुनावा

मन री उथली सी बाताँ

जल्दी आजो जी आँगन में

जिवडो उडतो ओ भागे।।


छोड़ गया परदेश साजना

चेत नहीं म्हारी लीनी

अमावस की राताँ काली

सावन री बिरखा झीनी

कितरी ऋतुआ बीती फीकी

गाँठ बा़ँधता धागे-धागे।।


 पिवसा सुनजो मन री मरजी

अब की चालूँ ली साथाँ

नहीं चाइजे रेशम शालू

ओढ़ रवाँ ला मैं काथाँ 

सुनो मारुजी बिन थांँरे तो

मेलों भी सूनो लागे।।


आला-लीला=गीला,सीला

बाँटा जोई = राह निहारना

छैल भँवर=पति

शालू = सुंदर वस्त्र

काँथा = पुराने कपड़ों से सिले वस्त्र

पिवसा=प्रिय ,पति

मारुजी=पति।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

19 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(14-12-21) को "काशी"(चर्चा अंक428)पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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    Replies
    1. कामिनी जी हृदय से आभार आपका चर्चा में शामिल होना सदा ही सुखद और आत्म गौरव से भरपूर है।
      मैं चर्चा पर उपस्थित रहूंगी।
      सादर सस्नेह।

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  2. अति उत्तम राजस्थानी गीत सखि

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सखी,आपको पसंद आया लेखन सार्थक हुआ।
      सस्नेह।

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  3. वाह!मन मोह गया आपका सृजन।
    शब्द-शब्द मन को बिंधता।
    बहुत ही सुंदर।

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    1. आपको राजस्थानी लोक गीत सृजन की मल्लिका हैं आपने पसंद किया लेखन सार्थक हुआ।
      सस्नेह आभार।

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  4. वाह ! सुंदर सरस,सुकोमल सी कविता । मन के तार तार को छू गई । बहुत बहुत शुभकामनाएं 💐💐

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    1. और आपकी प्रतिक्रिया की झंकार से मन की वीणा झंकृत हो गई जिज्ञासा जी।
      सस्नेह आभार स्नेह से लिप्त उद्गार।

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  5. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका शिवम् जी।
      उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सादर।

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  6. वाह बहुत मनमोहक गीत लिखा है।
    बहुत बहुत बधाई।

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      ब्लॉग पर सदा स्वागत है आपका।
      सादर।

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  7. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आलोक जी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए।

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  8. जी सुंदर गीत , आदरणीय ।

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    Replies
    1. जी बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए।
      ब्लॉग पर सदा स्वागत है आपका।
      सादर।

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  9. बेहतरीन रचना सखी।

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    Replies
    1. सस्नेह आभार सखी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सस्नेह।

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  10. हृदय से आभार आपका आदरणीय, चर्चा में शामिल होना सदा ही सुखद और आत्म गौरव से भरपूर है।
    मैं चर्चा पर उपस्थित रहूंगी।
    सादर।

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