Followers

Monday 20 December 2021

क्षितिज के पार।


 क्षितिज के पार


सौरभ भीनी लहराई

दिन बसंती चार।

मन मचलती है हिलोरें

सज रहें हैं द्वार।


नीले-नीले अम्बर पर

उजला रूप इंदु 

भाल सुनंदा के जैसे

सजता रजत बिंदु

ज्यों सजीली दुल्हन चली 

कर रूप शृंगार।।


मंदाकिनी है केसरी

गगन रंग गुलाब 

चँहु दिशाओं में भरी है

मोहिनी सी आब 

चाँद तारों से सजा हो

द्वार बंदनवार।।


चमकते झिलमिल सितारे

क्षीर नीर सागर

क्षितिज के उस पार शायद

सपनों का आगर

आ चलूँ मैं साथ तेरे 

क्षितिज के उस पार।।


 कुसुम कोठारी'प्रज्ञा'

18 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (22-12-2021) को चर्चा मंच          "दूब-सा स्वपोषी बनना है तुझे"   (चर्चा अंक-4286)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर आभार आदरणीय,मैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
      सादर।

      Delete
  2. क्षितिज के उस पार शायद

    सपनों का आगर

    आ चलूँ मैं साथ तेरे

    क्षितिज के उस पार।।

    बहुत खुब....। हमेशा की तरह लाजबाव सृजन,सादर नमस्कार कुसुम जी 🙏

    ReplyDelete
    Replies
    1. सस्नेह आभार आपका कामिनी जी, आपकी प्रबुद्ध टिप्पणी से लेखन सार्थक हुआ।
      सस्नेह।

      Delete
  3. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आलोक जी उत्साहवर्धन हुआ।
      सादर।

      Delete
  4. बहुत ही उम्दा रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय, उत्साह वर्धन हुआ।
      सादर।

      Delete
  5. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सखि

    ReplyDelete
    Replies
    1. सस्नेह आभार आपका सखी, सृजन सार्थक हुआ।
      सस्नेह।

      Delete
  6. नीले-नीले अम्बर पर

    उजला रूप इंदु

    भाल सुनंदा के जैसे

    सजता रजत बिंदु

    ज्यों सजीली दुल्हन चली

    कर रूप शृंगार।।

    वाह कितनी खूबसूरत रचना... 😍

    ReplyDelete
    Replies
    1. सस्नेह आभार आपका मनीषा जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई ।
      सस्नेह।

      Delete
  7. बेहतरीन रचना सखी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सस्नेह आभार आपका सखी।

      Delete
  8. सुंदर बिंबो से सजी छायाचित्र जैसी खूबसूरत के साथ ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सस्नेह आभार आपका जिज्ञासा जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      सस्नेह।

      Delete
  9. प्रकृति का रूप दर्शाती सुंदर पंक्तियाँ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार आपका ।
      सादर।

      Delete