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Tuesday 23 February 2021

असर अब गहरा होगा


 असर अब गहरा होगा 


तारों ने बिसात उठा ली, असर अब  गहरा होगा ।

चांद सो गया जाके,अंधेरों का अब पहरा होगा ।


फक़त खारा पन न देख, अज़ाबे असीर होगा।

मुसलसल बह गया तो, समन्दर लहरा होगा । 


दिन ढलते ही आंचल आसमां का सुर्खरू होगा।

रात का सागर लहराया न जाने कब सवेरा होगा।


छुपा है पर्दो में कितने, जाने क्या राज़ गहरा होगा।

अब्र के छंटते ही बेनकाब, चांद का चेहरा होगा । 


साये दिखने लगे चिनारों पे, जानें अब क्या होगा।

मुल्कों के तनाव से, चनाब का पानी ठहरा होगा ।

                   

                कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

30 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 24 फरवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. जी सादर आभार आपका मैं जरूर मौजूद रहूंगी।

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    1. हृदय तल से आभार आदरणीय।

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  3. आपकी लेखनी का यह रूप भी अलहदा है । बेहद खूबसूरत । आभार ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका
      आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई ।
      सदा स्नेह बनाए रखें।
      सस्नेह।

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  4. बहुत ही अच्छी ग़ज़ल है। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय, उत्साह वर्धन करती शुभकामनाएं ।
      सादर।

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  5. बेहद खूबसूरत रचना सखी

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सखी ।
      उत्साहवर्धन हुआ आपकी प्रतिक्रिया से।
      सस्नेह।

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  6. बहुत खूब !! लाज़वाब ग़ज़ल..सभी अशआर अत्यंत सुन्दर ।

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    1. आपकी प्रतिक्रिया सदा ही लेखन का सम्मान बढ़ाती है।
      स्नेहिल आभार आपका मीना जी।
      सस्नेह।

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  7. सुन्दर प्रस्तुति.

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।

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  8. बहुत खूब कुसुम जी.. उम्दा शेरों से भरी ग़ज़ल..

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    1. बहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी।
      उत्साहवर्धन के लिए हृदय तल से आभार।
      सस्नेह।

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  9. बहुत खूबसूरत गजल।

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    1. जी सादर आभार आपका उत्साहवर्धन हुआ।
      सादर।

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  10. छुपा है पर्दो में कितने, जाने क्या राज़ गहरा होगा।

    अब्र के छंटते ही बेनकाब, चांद का चेहरा होगा ।

    वाह , ग़ज़ल का हर शेर मुकम्मल । खूबसूरत ग़ज़ल

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    1. सराहना के लिए हृदय तल से आभार संगीता जी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया।।
      ब्लाग पर सदा स्वागत है आपका।
      सस्नेह।

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  11. असर अब गहरा होगा।

    वाकई असर अब गहरा होगा, बहुत खूब लिखा है आपने।

    👌👌👌👌👌

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    1. बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन से रचना सार्थक हुई।
      सस्नेह।

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  12. छुपा है पर्दो में कितने, जाने क्या राज़ गहरा होगा।

    अब्र के छंटते ही बेनकाब, चांद का चेहरा होगा ।

    बहुत खूब कुसुम जी,सादर नमन

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  13. बहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी सुंदर प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
    सस्नेह।

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  14. जी बहुत बहुत आभार आपका।
    सादर।

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  15. बहुत बहुत आभार आपका, चर्चा में स्थान देने के लिए।
    चर्चा मंच पर उपस्थित रहूंगी।
    सादर।

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  16. बहुत खूबसूरत, शानदार गजल, बधाई हो कुसुम जी

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  17. साये दिखने लगे चिनारों पे, जानें अब क्या होगा।
    मुल्कों के तनाव से, चनाब का पानी ठहरा होगा
    बहुत सुंदर शेरों से सजी रचना प्रिय कुसुम बहन।आपकी लेखनी कविता और ग़ज़ल दोनों पर अधिकार रखती है।
    सस्नेह शुभकामनाये❤❤🌹🌹🙏🙏

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