Followers

Friday 22 May 2020

परमेश्वरा


"परमेश्वरा "

तमो वितान
तम हर, दे ज्योति
पालनहार।

निशा थी काली
भोर की फैला लाली
हे ज्योतिर्मय।

शंकित मन
शंका हर , दे वर
जगत पिता।

रुठा है भाग्य
शरण तेरी आये
वरद दे हस्त।

आया शरण
भव नाव डोलत
परमेश्वरा ।

मंजिल भूले
राह नही सूझत
दे दिशा ज्ञान।

कुसुम कोठारी  'प्रज्ञा'

10 comments:

  1. वाह दी सुंदर,ईश के चरणों में समर्पित बहुत सुंदर हायकु।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत सा आभार श्वेता ।
      सस्नेह।

      Delete
  2. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  3. अद्भुत और अद्वितीय... पहली बार पढ़े हैं आपके द्वारा लिखे हाइकु । मन्त्रमुग्ध हूँ... बेमिसाल हाइकु ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत सा आभार मीना जी मेरे भावों पर सुंदर मनभावन टिप्पणी आपकी रचना को सार्थकता प्रदान कर गई।
      सस्नेह

      Delete
  4. बहुत सुन्दर और उपयोगी हाइकु।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत सा आभार आदरणीय।
      प्रोत्साहन के लिए।

      Delete
  5. स्नेह आभार सुधा जी! मेरे लघु बंध पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया से हर्ष हुआ।
    सस्नेह।

    ReplyDelete