स्वर सुर सरगम
सरगम छेड़ो ताल से, मधुर गूँज हो आज।
सुर संगम के साथ ही,गीत लगे सरताज।।
धुनकी धुन धुन कर रही, तान बजाता कौन।
सरगम से मन मोहती, साज हुए सब मौन।।
मन में सरगम जब बजे, मुख पर लाली लाज।
पाँवों में थिरकन मचे, रोम बजे हैं साज।।
राग नहीं सरगम बिना, लगे अधूरी जीत।
मधुर रागिनी जब बजे, कोमल मुखरित गीत ।।
सात सुरों का नेह ही,जग में भरता प्रीत।
खुशियों से मन झूमता, होठ सजाते गीत।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
धुनकी धुन धुन कर रही, तान बजाता कौन।-अंतर्मन की अभिव्यक्ति
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका रचना के मर्म को समझने के लिए।
Deleteसस्नेह।
अच्छा और मनभावन संगीत निश्चित तौर पर बहुत ताकतवर होता है।
ReplyDeleteजी सुंदर व्याख्यात्मक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
Deleteसादर आभार आपका।
वाह! बहुत सुंदर सार्थक दोहे ।
ReplyDeleteगुनगुनाते से ।
शुभकामनाएं आपको ।
बहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी।
Deleteसस्नेह।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 28 मार्च 2022 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
बहुत बहुत आभार आपका रचना को पांच लिंकों पर स्थान देने के लिए।
Deleteसादर सस्नेह।
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (28 मार्च 2022 ) को 'नहीं रूकती है चेहरे पर सुबह की नरम धूप' (चर्चा अंक 4383) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:30 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteचर्चा मंच पर रचना का आना मन को आनंदित करता है।
सादर सस्नेह।
धुनकी धुन धुन कर रही, तान बजाता कौन।
ReplyDeleteसरगम से मन मोहती, साज हुए सब मौन।।
बहुत उम्दा दोहावली
सुन्दर सृजन हेतु साधुवाद
जी हृदय से आभार आपका आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
Deleteसादर।
बहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteसादर।
वाह सुंदर रचना
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका।
Deleteउत्साह वर्धन हुआ।
सस्नेह।
सात सुरों का नेह ही,जग में भरता प्रीत।
ReplyDeleteखुशियों से मन झूमता, होठ सजाते गीत।।
अति सुन्दर 👌👌
बहुत बहुत आभार आपका मीना जी, आपकी प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
Deleteसस्नेह।
हृदय से आभार आपका आदरणीय।
ReplyDeleteउत्साह वर्धन हुआ।
सादर।