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Friday 17 July 2020

प्रार्थना

प्रार्थना

प्रार्थना की खुशबू पहुँचे तुझ तक
ऐसा एक दृढ़ विश्वास कर लूँ ।

आज मैं अपने आँसू को गंगा 
और भक्ति को पुराण कर दूँ ।

दीप जलाऊ निज मन आस्था का
सभी हल्के कर्मो को धूप कर दूँ ।

मन प्राण में आह्लाद जगा लूँ
आत्मा को जोत कर दूँ ।

          कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

7 comments:

  1. जी नमस्ते ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (१९-०७-२०२०) को शब्द-सृजन-३०'प्रार्थना/आराधना' (चर्चा अंक-३७६७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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    1. बहुत बहुत आभार आपका,मैं मंच पर उपस्थिति देकर सभी रचनाकारों को पढ़कर आ रही हूं।
      पुनः आभार चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए।

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  2. मन प्राण में आह्लाद जगा लूँ
    आत्मा को जोत कर दूँ ।
    जोत सी ले ये आत्मा!!!!
    सुन्दर भावों से सजी लाजवाब प्रार्थना।

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    1. सुधा जी आपकी स्नेहिल उपस्थिति सदा उत्साहवर्धक होती है ।
      ढेर सा स्नेह।

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  3. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति

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  4. बहुत ही सुंदर प्रार्थना,सादर नमन कुसुम जी

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    1. बहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी।
      उत्साहवर्धन करती आपकी उपस्थिति ।

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