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Monday 1 July 2019

तुम मुझे भूल जाओ शायद

तुम मुझे भूल जाओ शायद

तुम मूझे भूल जाओ शायद पर साथ
गुजारे वो  लम्हे  क्या भूल  पाओगी
वो नीरव तट पर साथ मेरा और मचलती
लहरों का कल-छल क्या भूल पाओगी।

वो हवाओं का तेरे आंचल को छेड़ना
और मेरा अंगुलियों पर आंचल रोकना
वो नटखट घटाओं का तेरे चंद्र मुख पर
छा जाना और मेरा फिर उन्हें मोड़  देना
क्या भूल पाओगी....

मेरी कागज पर लिखी निर्जीव  गजल
गुनगुना के सजीव करना जब अपना
नाम आता तो दांतों में अंगुली दबाना
 उई मां कह रतनार हो आंख झुकाना
क्या भुला पाओगी.....

वो शर्म की लाली जो अपना ही रूप देख
साथ मेरे आईने में आती मुख पर तुम्हारे,
वो गिरते आंसुओं को रोकना हथेली पर मेरी
और तुम्हारा उन्ही हथेलियों में मुख छुपाना
क्या भूल पाओगी..

               कुसुम कोठारी ।

18 comments:

  1. कुसुम दी, सच में प्यार को भूला पाना कठिन हैं। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

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    1. सस्नेह आभार प्रिय ज्योति बहन ।

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  2. वाह!! सखी ,बहुत खूबसूरत रचना ।

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    1. बहुत बहुत आभार सखी स्नेह बनाये रखें।
      सस्नेह।

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  3. बहुत से नाज़ुक क्षण और भावपूर्ण लम्हे जिनमें जीवन के हसीं पल होते हैं उन्हें भुलाना आसान कहाँ होता है ...
    एअसे ही कुछ लम्हों को लेकर बुनी दिलकश रचना है ...

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    1. बहुत सुंदर प्रतिक्रिया आपकी सदा विस्तृत और सटीक।
      सादर आभार बहुत सा।

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  4. मेरी कागज पर लिखी निर्जीव गजल
    गुनगुना के सजीव करना जब अपना
    नाम आता तो दांतों में अंगुली दबाना
    उई मां कह रतनार हो आंख झुकाना
    क्या भुला पाओगी.....
    बहुत ही खूबसूरत भावपूर्ण रचना...
    वाह!!!

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    1. बहुत सा स्नेह सखी आपकी प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली ।
      सस्नेह आभार ।

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  5. वो गिरते आंसुओं को रोकना हथेली पर मेरी
    और तुम्हारा उन्ही हथेलियों में मुख छुपाना
    क्या भूल पाओगी..बेहद खूबसूरत रचना सखी 👌

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    1. आप लोगों को पसंद आई बहुत संतोष हुआ सखी।
      सस्नेह आभार आपका।

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  6. वाह बहुत खूबसूरत रचना।

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    1. सस्नेह सादर आभार दी आपका आशीर्वाद मिला।

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  7. उई मां कह रतनार हो आंख झुकाना
    क्या भुला पाओगी.....
    बहुत ही खूबसूरत

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    1. ढेर सा आभार संजय जी रचना को सार्थकता मिली ।

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  8. बहुत ही सुंदर ,भावपूर्ण ,और आप की लेखनी का एक अलग अंदाज़ जो इसे और खास बना रहा हैं ,बहुत ही प्यारी रचना ,सादर

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  9. बहुत बहुत आभार कामिनी जी।
    आप ने सही कहा मेरे मिजाज से हटकर है ये सृजन बसकभी-कभी एक रस्ता तोड़ ने का प्रयास भर आप सब को अच्छी लगी तो सार्थक हुई रचना।
    पुनः आभार सस्नेह ।

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    1. एक रसता पढ़ें कृपया

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  10. सुन्दर प्रस्तुति

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