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Wednesday 29 August 2018

वर्ण पिरामिड विधा मे चार पिरामिड रचनाऐं

हिमालय पर चार वर्ण पिरामिड रचनाऐं।

मै
मौन
अटल
अविचल
आधार धरा
धरा के आंचल
पाया स्नेह बंधन।

ये
स्वर्ण
आलोक
चोटी पर
बिखर गया
पर्वतों के पीछे
भास्कर मुसकाया।

हूं
मै,भी
बहती
अनुधारा
अविरल सी
उन्नत हिम का
बहता अनुराग।

लो
फिर
झनकी
मधु वीणा
पर्वत  राज
गर्व से हर्षाया
फहराया तिंरगा।

15 comments:

  1. जबरदस्त
    वाहः बहुत उम्दा

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    1. जी लोकेश जी आपका तहे दिल से शुक्रिया।

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  2. अरे वाह्हह दी..बहुत सुंदर👌👌👌 नयी विधा में सृजन के लिए बधाई👍💐
    बहुत सुंदर वर्ण पिरामिड है। सुगघ,सुगठित,धाराप्रवाह👌👌

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    1. इस विधा में मेरा पहला प्रयोग है श्वेता आपको अच्छी लगी जानकर सच मन में संतोष हुवा, ढेर सा स्नेह आभार

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  3. वाह बेहतरीन बहुत ही सुन्दर वर्ण पिरामिड सखी 👌👌

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    1. सखी सस्नेह आभार, आप मेरी रचनाओं के सदा सहभागी हो मूझे इस से प्रेरणा मिलती है,और अच्छा लिख सकूं।
      सस्नेह।

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  4. वाह!!बेहतरीन वर्ण पिरामिड.

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    1. सस्नेह आभार पम्मी जी, आपकी सराहना से लेखन को और बल मिलेगा।

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  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३१ अगस्त २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. सादर आभार "मै अवश्य उपस्थित रहूंगी।

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  6. बहुत ही सुन्दर वर्ण पिरामिड सखी 👏👏👏

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    1. बहुत बहुत आभार स्नेह सखी।

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