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Friday, 29 March 2019

सुनहरी किरणों के घुंघरू


सुनहरी किरणों के घुंघरू

उषा ने सुरमई शैया से
अपने सिंदूरी पांव उतारे
पायल छनकी
बिखरे सुनहरी किरणों के घुंघरू
फैल गये अम्बर में
उस क्षोर से क्षितिज तक
मचल उठे धरा से मिलने
दौड़ चले आतुर हो
खेलते पत्तियों से
कुछ पल द्रुम दलों पर ठहरे
श्वेत ओस को
इंद्रधनुषी बाना पहना चले
नदियों की कल कल में
स्नान कर पानी में रंग घोलते
लाजवन्ती को होले से
छूते प्यार से
अरविंद में नव जीवन का
संदेश देते
कलियों फूलों में
लुभावने रंग भरते
हल्की बरसती झरनों की
फुहारों पर इंद्रधनुष रचते
छन्न से धरा का
आलिंगन करते,
जन जीवन को
नई हलचल देते
सारे विश्व पर अपनी
आभा छिटकाते
सुनहरी किरणों के घुंघरू।

       कुसुम कोठारी।

23 comments:

  1. Replies
    1. बहुत बहुत आभार लोकेश जी आपका उत्साह वर्धन के लिये ।

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  2. बहुत ही मनमोहक सृजन कुसुम जी 👌👌👌👌

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    1. सस्नेह आभार मीना जी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया आपकी

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  3. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, कुसुम दी।

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    1. बहुत बहुत आभार ज्योति बहन।
      सस्नेह ।

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  4. बहुत ही सुन्दर खूबसूरत मनभावनी रचना...
    वाह!!!

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    1. ढेर सा आभार सुधा जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली ।

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  5. बहुत सुन्दर दी जी
    सादर

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    1. ढेर सा स्नेह बहना।
      आभार सस्नेह ।

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  6. बहुत सुंदर शब्द चित्र..

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    1. जी सादर आभार आपका प्रोत्साहन मिला ।

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  7. भोर का मनभावन चित्रण ...!

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    1. सस्नेह आभार आपका ।
      ब्लॉग पर स्वागत आपका सदा स्नेह बनाये रखें।
      सस्नेह।

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  8. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना 3 अप्रैल 2019 के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. आभार पम्मी जी
      आप फेसबुक पर नही दिख रहे कहीं भी।

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  9. बहुत सुन्दर !
    बेड टी कुछ जल्दी मिल जाया करती तो हम भी उषा की नित्य-लीला का आनंद उठा पाते. अब तो हमारे पास इसका रसपान करने के लिए या तो जयशंकर प्रसाद की रचना - 'बीती विभावरी जाग री --' है या फिर कुसुम कोठारी की रचना - 'उषा ने सुरमई शैया से,
    अपने सिंदूरी पांव उतारे --' है.

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    1. सादर आभार आदरणीय आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया का कोई जवाब नही अतिशयोक्ति है फिर भी मनभावन।
      सादर।

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  10. बहुत सुंदर। सादर बधाई।

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    1. जी बहुत सा आभार ।
      ब्लॉग पर स्वागत है आपका ।

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  11. बेहतरीन रचना सखी 👌👌

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    1. स्नेह आभार सखी आपका ढेर सारा।

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  12. सुनहरी किरणों के घुँघरू ! वाह सुंदर प्रतिको और बिम्बों से सजी सुंदर रचना प्रिय कुसुम बहन | प्रकृतिवादी कवियों सी शैली !!!!!!! सस्नेह --

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