तू कैसो रंगरेज ओ कान्हा
ना खेरूं होरी तोरे संग सांवरिया
बिन खेले तोरे रंग रची मैं
कछु नाही मुझ में अब मेरो
किस विधि चढ्यो रंग छुडाऊं
तू कैसो रंगरेज ओ कान्हा
कौन देश को रंग मंगायो
बिन डारे में हुई कसुम्बी
तन मन सारो ही रंग ड़ार् यो
ना खेरूं होरी तोरे संग.....
कुसुम कोठारी ।
बहुत ही सुन्दर रचना सखी
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteसुन्दर कल्पना ...
ReplyDeleteकान्हा का रंग तो ऐसा चढ़ता है कभी छूटता ही नहीं है ... मुनहार करती प्रेम पगी रचना ...
होली शुभ हो।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहोली की शुभकानाएं
ReplyDeleteसुन्दर सृजन सखी ! होली के पावन अवसर पर आपको अशेष व अनन्त शुभकामनाएं 🙏🙏
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर होली गीत , होली की हार्दिक शुभकामनाये कुसुम जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर। होली की शुभकामनाएं...
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