चोट ~प्रहार ~वार।
ऐसा प्रहार
ना हाथ हथियार
वाणी की चोट।
वायु की चोट
वारिध डावाडोल
बरसा पानी।
मन उदास
प्रहार करे घन
न आये कंत।
वार गहरा
झेल ना पाया मन
टूटा विश्वास।
चोट पे चोट
लोहे से कनक पे
दे दनादन।
कुसुम कोठारी
हाइकु जापानी काव्य शास्त्र की सबसे छोटी विधा है जो अब भारत में बहुत मनोयोग से लिखी जा रही है सत्रह (17) वर्णों में लिखी जाने वाली सबसे छोटी कविता है। इसमें तीन पंक्तियाँ रहती हैं। प्रथम पंक्ति में 5 वर्ण दूसरी में 7 और तीसरी में 5 वर्ण रहते हैं।
बेहतरीन और लाजवाब हाइकु कुसुम जी ।
ReplyDeleteसस्नेह आभार मीना जी ।
Deleteसुन्दर। टूटा कर लें।
ReplyDeleteबहुत सुंदर हाइकु सखी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और भावपूर्ण हाइकु...
ReplyDeleteकुछ सबदों के गहरे प्रहार ... दूर तक करते प्रहार ...
ReplyDeleteअच्छे लाजवाब हाइकू ...
बहुत सुंदर हायकू, कुसुम दी।
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