मधुरस मनभावन होली मनाएं
आवन आतुर मधुमास सखी पवन झकोरा खाए
ऐसो सुंदर चाँद गगन पर बादल डोली सजाए
छाई फागुन रुत मनभावन पात- पात मुस्काए
अली भ्रमित हो डोले व्याकुल कोयल गीत सुनाए
स्वर्णिम सूर्य उदय मुलकित, अन्न धन लाभ बधाए
मां लक्ष्मी मां सरस्वती वरदहस्त रखन को आए
प्राणी मात्र हृदय तल बसे सदा सुंदर भाव सुहाए
पर हित खातिर स्नेह बसे उर में अंतर मन हर्षाए
सभी पुराने बैर भूलादें मन में प्रेम ज्योति जलाएं
स्नेह प्रेम की सुंदर मधुरस मनभावन होली मनाएं।
कुसुम कोठारी ।
आवन आतुर मधुमास सखी पवन झकोरा खाए
ऐसो सुंदर चाँद गगन पर बादल डोली सजाए
छाई फागुन रुत मनभावन पात- पात मुस्काए
अली भ्रमित हो डोले व्याकुल कोयल गीत सुनाए
स्वर्णिम सूर्य उदय मुलकित, अन्न धन लाभ बधाए
मां लक्ष्मी मां सरस्वती वरदहस्त रखन को आए
प्राणी मात्र हृदय तल बसे सदा सुंदर भाव सुहाए
पर हित खातिर स्नेह बसे उर में अंतर मन हर्षाए
सभी पुराने बैर भूलादें मन में प्रेम ज्योति जलाएं
स्नेह प्रेम की सुंदर मधुरस मनभावन होली मनाएं।
कुसुम कोठारी ।
सभी पुराने बैर भूलादें मन में प्रेम ज्योति जलाएं
ReplyDeleteस्नेह प्रेम की सुंदर मधुरस मनभावन होली मनाएं।ब बहु सुंदर रचना सखी
बहुत सा आभार प्रिय सखी ।
Deleteउत्साह वर्धन के लिये ।
ReplyDeleteछाई फागुन रुत मनभावन पात- पात मुस्काए
अली भ्रमित हो डोले व्याकुल कोयल गीत सुनाए... बेहतरीन आदरणीया 👌
सादर
आपकी मनभावन सराहना के लिए बहुत बहुत आभार सखी।
Deleteआहा...अति सुंदर,मनभावनी, अति मनमोहक शब्दावली से सुसज्जित सरस सृजन..दी वाहह्हह...👌👌
ReplyDeleteप्रिय श्वेता आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से सचमुच मन आह्लाद से भर गया।
Deleteढेर सा स्नेह आभार ।
अप्रतिम...., अत्यन्त सुन्दर !!!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी मीना जी ।
DeleteWaah sakhi... lajwab rachna
ReplyDeleteढेर सा स्नेह आभार सखी।
Deleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteबहुत सा आभार ।
Deleteसादर
बहुत सुंदर
ReplyDeleteसुंदर रचना ! होली की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteछाई फागुन रुत मनभावन पात- पात मुस्काए
ReplyDeleteअली भ्रमित हो डोले व्याकुल कोयल गीत सुनाए
प्राकृतिक सौंदर्य को शब्दों में बांध लेती हैं आप । बहुत खूबसूरत रचना ।
सभी पुराने बैर भूलादें मन में प्रेम ज्योति जलाएं
ReplyDeleteस्नेह प्रेम की सुंदर मधुरस मनभावन होली मनाएं।
प्रकृति के सौन्दर्य के साथ सुन्दर संदेश समाहित किये सुन्दर सृजन कुसुम जी । होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जला दे
ReplyDeleteजला दे
पुराने सारे बैर
इस होली में
सादर..
पुनः आपकी रचना पढ़कर बहुत अच्छा लगा दी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर मनभावन और सार्थक संदेश से युक्त सराहनीय सृजन।
सस्नेह।
सादर।
वाह!कुसुम जी ,बहुत खूबसूरत सृजन ।
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