कैसो री अब वसंत सखी ।
जब से श्याम भये परदेशी
नैन बसत सदा मयूर पंखी
कहां बस्यो वो नंद को प्यारो
उड़ जाये मन बन पाखी
कैसो री अब वसंत सखी।
सुमन भये सौरभ विहीन
रंग ना भावे सुर्ख चटकीले
खंजन नयन बदरी से सीले
चाँद लुटाये चांदनी रुखी
कैसो री अब वसंत सखी।
धीमी बयार जीया जलाये
फीकी चंद्र की सभी कलाएं
चातकी जैसे राह निहारूं
कनक वदन भयो अब लाखी
कैसो री अब वसंत सखी।
झूठो है जग को जंजाल
जल बिंदु सो पावे काल
स्नेह विरहा सब ही झूठ
आत्मानंद पा अंतर लखि
ऐसो हो अब वसंत सखी।
कुसुम कोठारी ।
लाखी - लाख जैसा मटमैला
लखि-देखना ।
जब से श्याम भये परदेशी
नैन बसत सदा मयूर पंखी
कहां बस्यो वो नंद को प्यारो
उड़ जाये मन बन पाखी
कैसो री अब वसंत सखी।
सुमन भये सौरभ विहीन
रंग ना भावे सुर्ख चटकीले
खंजन नयन बदरी से सीले
चाँद लुटाये चांदनी रुखी
कैसो री अब वसंत सखी।
धीमी बयार जीया जलाये
फीकी चंद्र की सभी कलाएं
चातकी जैसे राह निहारूं
कनक वदन भयो अब लाखी
कैसो री अब वसंत सखी।
झूठो है जग को जंजाल
जल बिंदु सो पावे काल
स्नेह विरहा सब ही झूठ
आत्मानंद पा अंतर लखि
ऐसो हो अब वसंत सखी।
कुसुम कोठारी ।
लाखी - लाख जैसा मटमैला
लखि-देखना ।
बेहतरीन रचना ..., विरहानुभूति का हृदयस्पर्शी वर्णन। अत्यंत सुन्दर ....,
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार मीना जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला ।
Deleteसस्नेह।
सुन्दर रचना।
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय आपकी उपस्थिति सदा लेखन को प्रोत्साहित करती है।
Deleteसादर।
बहुत ही बेहतरीन रचना सखी 👌
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन हुवा ।
Deleteझूठो है जग को जंजाल
ReplyDeleteजल बिंदु सो पावे काल
स्नेह विरहा सब ही झूठ
आत्मानंद पा अंतर लखि
ऐसो हो अब वसंत सखी
बहुत ही सुंदर.....
बहुत सा आभार कामिनी जी आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली ।
Deleteसस्नेह ।
जग झूठा, स्नेह प्रेम सब झूठा ...
ReplyDeleteअंतर्मन का एहसास जब जागता है तो सब कुछ झूठ लगता है सिवाए परम सत्य के ...
सुन्दर भाव लिए अनुपम रचना ...
सस्नेह आभार श्वेता ।
ReplyDeleteसटीक व्याख्यात्मक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई ।
ReplyDeleteसादर आभार नासवा जी ।
झूठो है जग को जंजाल
ReplyDeleteजल बिंदु सो पावे काल
स्नेह विरहा सब ही झूठ
आत्मानंद पा अंतर लखि
ऐसो हो अब वसंत सखी।
जब विरह बेदना असह्य हो गयी तब जग की नश्वरता का भान और जग के जंजाल का झूठापन महसूस कर नायिका आत्मानंद को अन्तर्मन में ढूँढने लगी...बहुत ही लाजवाब.... बहुत ही सराहनीय
वाह!!!
बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दी जी 👌
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