जीवन के रंग - क्षणिकाएं
क्षणिकाएं
यूं उतंग शिखरों पर
बसेरे थे जिनके
आज जहाँ में
नामो निशां नहीं उनके।
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गुमान जो आईने को था
सब बिखर गया
देख के सूरत गुलनार की
सारा भ्रम उतर गया ।
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निशां कदमों के कल
आंधियां उडा ले जायेगी
कुछ यादें ही दिलों में
बस शेष रह जायेगी।
कुसुम कोठारी।
वाह !!! बेहद खूबसूरत...., लाजवाब क्षणिकाएँ ।।।
ReplyDeleteबहुत सा स्नेह मीना जी ।
Deleteबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति सखी
ReplyDeleteबहुत सा स्नेह आभार सखी ।
Deleteबहुत उम्दा
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार लोकेश जी।
Deleteगुमान जो आईने को था
ReplyDeleteसब बिखर गया
देख के सूरत गुलनार की
सारा भ्रम उतर गया ।
वाह!!!
लाजवाब क्षणिकाएं...
बहुत बहुत आभार सुधा जी सस्नेह ।
ReplyDeleteसुंदर मनभावन क्षनिकाएं !!!!
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