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Thursday, 14 March 2019

जीवन के रंग - क्षणिकाएं

क्षणिकाएं

यूं उतंग शिखरों पर
बसेरे थे जिनके
आज जहाँ में
नामो निशां नहीं उनके।
~~~~~~~~~~~
गुमान जो आईने को था
सब बिखर गया
देख के सूरत गुलनार की
सारा भ्रम उतर गया ।
~~~~~~~~~~~
निशां कदमों के कल
आंधियां उडा ले जायेगी
कुछ यादें ही दिलों में
बस शेष रह जायेगी।

कुसुम कोठारी।

9 comments:

  1. वाह !!! बेहद खूबसूरत...., लाजवाब क्षणिकाएँ ।।।

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    1. बहुत सा स्नेह मीना जी ।

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  2. बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति सखी

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    1. बहुत सा स्नेह आभार सखी ।

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  3. Replies
    1. बहुत बहुत आभार लोकेश जी।

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  4. गुमान जो आईने को था
    सब बिखर गया
    देख के सूरत गुलनार की
    सारा भ्रम उतर गया ।
    वाह!!!
    लाजवाब क्षणिकाएं...

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  5. बहुत बहुत आभार सुधा जी सस्नेह ।

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  6. सुंदर मनभावन क्षनिकाएं !!!!

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