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Tuesday 2 April 2019

बन रे मन तू चंदन वन



बन रे मन तू चंदंन वन

बन रे मन तू चंदन वन
सौरभ का बन अंश अंश।

कण कण में सुगंध जिसके
हवा हवा महक जिसके
चढ़ भाल सजा नारायण के
पोर पोर शीतल बनके।

बन रे मन तू चंदन वन।

भाव रहे निर्लिप्त सदा
मन में वास नीलकंठ
नागपाश में हो जकड़े
सुवास रहे सदा आकंठ।

बन रे मन तू चंदन वन ।

मौसम ले जाय पात यदा
रूप भी ना चितचोर सदा
पर तन की सुरभित आर्द्रता
रहे पीयूष बन साथ सदा।

बन रे मन तू चंदन वन ।

घस घस खुशबू बन लहकूं
ताप संताप हरुं हर जन का
जलकर भी ऐसा महकूं, कहे
लो काठ जला है चंदन का।

बन रे मन तू चंदन वन ।।

      कुसुम कोठारी।

18 comments:

  1. वाह दीदी, अभी-अभी चेहरे वाली क़िताब में पढ़ा हूँ यह रचना। बेजोड़ सृजन
    चंदन-चंदन कर डाला...🙏

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    1. सस्नेह आभार भाई आपकी सराहना से रचना मुखरित हुई।

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  2. घस घस खुशबू बन लहकूं
    ताप संताप हरुं हर जन का
    जलकर भी ऐसा महकूं, कहे
    लो काठ जला है चंदन का।
    सुंदर अभिव्यक्ति सखी

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    1. वाह सखी गहन भाव पंक्तियाँ पकड़ी आपने। सस्नेह आभार।

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  3. अतीव सुन्दर...., ईश आराधना में समर्पित अप्रतिम भाव ।
    मनमोहक सृजन कुसुम जी ।

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  4. बहुत बहुत आभार मीना जी रचना को और गति मिली आपकी सार्थक प्रतिक्रिया से

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  5. बहुत ही सुंदर दिल को छूती रचना,कुसुम दी।

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    1. बहुत बहुत आभार ज्योति बहन ।

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  6. वाह, क्या बात है। बहुत सुंदर।

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    1. जी हृदय तल से आभार आपका।

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  7. खूबसूरत रचना 👌👌👌

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    1. ढेर सा आभार सखी।
      सस्नेह ।

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  8. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" l में लिंक की गई है। https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/04/116.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  9. बन रे मन तू चंदन वन
    सौरभ का बन अंश अंश।

    कण कण में सुगंध जिसके
    हवा हवा महक जिसके
    चढ़ भाल सजा नारायण के
    पोर पोर शीतल बनके।

    बन रे मन तू चंदन वन।

    बेहतरीन हृजन। भाव भावभीनी रचना।

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    1. बहुत बहुत आभार पुरुषोत्तम जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली ।

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  10. कण कण में सुगंध जिसके
    हवा हवा महक जिसके
    चढ़ भाल सजा नारायण के
    पोर पोर शीतल बनके।!!!
    बहुत खूब प्रिय कुसुम बहन ! मन चन्दन बन सरीखा महके और हरि के ललाट पर सुशोभित हो तो मन की इससे बढ़कर सार्थकता और क्या ? चन्दन सी महकती भावपूर्ण सुंदर रचना | हार्दिक शुभकामनायें |

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  11. बहुत सा आभार रेनू बहन आपकी सक्रिय उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी रे सिर्फ रघना ही नही रचनाकार को भी लेखन में गति मिलती है।
    आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया का हृदय से आभार।
    सस्नेह ।

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