मौत की शै पे हर एक फना होता है,
जज्बातो की ठोकर मे क्यों
फिर रुसवा होता हैं,
इंसा है नसीब का पायेंगे ही,
बस इस बात से क्यों अंजा होता है,
ख्वाब देखो कुछ बुरा नही
पर हर ख्वाब पुरा हो यही मत देखो
सब की किस्मत एक नही होती
एक ही गुलिस्ता के हर फूल का
अंजाम अलग होता है
एक कली सेहरे मे गूंथती
एक मयत पर सजती है
एक फूल चढता श्रद्धा से
दूजा बाजारों में रौदा जाता है
एक बने गमले की शोभा
एक कचरे मे फैंका जाता है
कुछ तो कुछ भी नही सहते
पर डाली पर मुरझा जाते है
बस जीने का एक बहाना
ढूंढलो कोई अच्छा सा
एक ढूंढोगे लाख मिलेगे
सप्तम सुर है सरगम मे
...........कुसुम कोठारी
जज्बातो की ठोकर मे क्यों
फिर रुसवा होता हैं,
इंसा है नसीब का पायेंगे ही,
बस इस बात से क्यों अंजा होता है,
ख्वाब देखो कुछ बुरा नही
पर हर ख्वाब पुरा हो यही मत देखो
सब की किस्मत एक नही होती
एक ही गुलिस्ता के हर फूल का
अंजाम अलग होता है
एक कली सेहरे मे गूंथती
एक मयत पर सजती है
एक फूल चढता श्रद्धा से
दूजा बाजारों में रौदा जाता है
एक बने गमले की शोभा
एक कचरे मे फैंका जाता है
कुछ तो कुछ भी नही सहते
पर डाली पर मुरझा जाते है
बस जीने का एक बहाना
ढूंढलो कोई अच्छा सा
एक ढूंढोगे लाख मिलेगे
सप्तम सुर है सरगम मे
...........कुसुम कोठारी
वाह दीदी क्या ज्ञान वर्धक पंक्तिया दी हैं आपने
ReplyDeleteबेहद सुंदर अनमोल रचना
बंद था एक दरवाजा
पर कई और खुले थे
ना था हमे अंदाज़ा पर
सदा मेरे भाग जगे थे
स्नेह आभार आंचल आपको ब्लाग पर सटिप्पणी देख बहुत खुशी हुई
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteजी आभार ।
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