सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि । एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरि विनाशनम्।
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।
. बरखा अब विदाई के
अंतिम सोपान पर आ खडी है,
विदा होती दुल्हन के
सिसकियों के हिलोरों सी
दबी-दबी सुगबुगाहट लिए।
शरद ने अभी अपनी
बंद अटरिया के द्वार
खोलने शुरू भी नही किए
मौसम के मिजाज
समझ के बाहर उलझे-उलझे।
मां दुर्गा भी उत्सव का
उपहार लिये आ गईं धरा पर
चहुँ ओर नव निकेतन
नव धाम सुसज्जित
आवो करें स्वागत मुदित मन से।
कुसुम कोठारी।
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।
. बरखा अब विदाई के
अंतिम सोपान पर आ खडी है,
विदा होती दुल्हन के
सिसकियों के हिलोरों सी
दबी-दबी सुगबुगाहट लिए।
शरद ने अभी अपनी
बंद अटरिया के द्वार
खोलने शुरू भी नही किए
मौसम के मिजाज
समझ के बाहर उलझे-उलझे।
मां दुर्गा भी उत्सव का
उपहार लिये आ गईं धरा पर
चहुँ ओर नव निकेतन
नव धाम सुसज्जित
आवो करें स्वागत मुदित मन से।
कुसुम कोठारी।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (30-09-2019) को " गुजरता वक्त " (चर्चा अंक- 3474) पर भी होगी।
जी सादर आभार आपका।
Deleteपांच लिंक में रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार।
बहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteमाँ का स्वागत है ... उसकी कृपा सदेव रहे सब पर ... इस धरा पर ... बरखा पर ... मौसम पर ...
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय आपकी शानदार प्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन हुआ।
Deleteमाँ फिर से जीवन में उल्लास लेकर आई है
ReplyDeleteप्रकृति मुस्कुराई है, जन-जन को बधाई है.
जी सादर आभार आपका आदरणीय।
Deleteनवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।
वाह बेहतरीन प्रस्तुति सखी।🌹🌹
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