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Sunday 22 September 2019

बेटियां पथरीले रास्तों की दुर्वा

बेटियाँ, पथरीले रास्तों की दुर्वा

रतनार क्षितिज का एक मनभावन छोर
उतर आया हो जैसे धीरे-धीरे क्षिति के कोर ।

जब चपल सी बेटियाँ उड़ती घर आँगन
अपने रंगीन परों से तितलियों समान ।

नाज़ुक,प्यारी मृग छौने सी शरारत में
गुलकंद सा मिठास घोलती बातों-बातों में ।

जब हवा होती पक्ष में बादल सा लहराती
भाँपती दुनिया के तेवर चुप हो बैठ जाती ।

बाबा की प्यारी माँ के हृदय की आस
भाई की सोन चिरैया आँगन का उजास ।

इंद्रधनुष सा लुभाती मन आकाश पर सजती
घर छोड़ जाती है तो मन ही मन लरजती ।

क्या है बेटियाँ लू के थपेड़ों में ठंडी पूर्वा
जीवन के पथरीले रास्तों में ऊग आई दुर्वा ।

           कुसुम कोठारी।

34 comments:

  1. बेहद खूबसूरत रचना सखी 👌🌹

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  2. अति उत्तम ,बधाई हो

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सखी।

      सस्नेह।

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  3. आज जीवित्पुत्रिका का व्रत महिलाएं बड़े ही उल्लास के साथ कर रही हैं। लगभग 33 घंटे का यह निर्जला व्रत अत्यंत कठिन होता है ।आज ही बेटी दिवस है। एक विचार मन में आया है कि क्या पुत्रों की तरह पुत्रियों की लंबी आयु , खुशहाली और उनके स्वास्थ की कामना से भी कोई व्रत शास्त्रों में वर्णित है । जिन्हें माताएं रखती हैं ?
    सादर ...
    आपकी हर रचना अद्भुत एवं भावपूर्ण होती है कुसुम दी।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका भाई, बहुत सटीक प्रश्र है ।
      आपकी भावपूर्ण प्रतिक्रिया सदा मेरा उत्साह वर्धन करती है।
      सस्नेह।

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  4. क्या है बेटियां लू के थपेड़ों में ठंडी पूर्वा
    जीवन के पथरीले रास्तों में ऊग आई दुर्वा ।

    हमेशा की तरह बेहतरीन सृजन कुसुम जी , सादर नमन

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    1. प्रिय कामिनी जी बहुत बहुत आभार आपका आपकी सार्थक प्रतिक्रिया सदा रचना को मुखरित करती है।

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  5. क्या है बेटियां लू के थपेड़ों में ठंडी पूर्वा
    जीवन के पथरीले रास्तों में ऊग आई दुर्वा
    बहुत खूब।
    सादर

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।

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  6. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में " सोमवार 23 सितम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार मीना जी, मेरी रचना को सांध्य दैनिक में शामिल होना मेरे लिए उत्साह वर्धक है।
      सादर।

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  7. अप्रतिम लेखन दी..कितनी खूबसूरती से आपने शब्दों को भावों और शिल्प में बाँधा है...सच मे हृदयग्राही सृजन👌

    नाज़ुक,प्यारी मृग छौने सी शरारत में
    गुलकंद सा मिठास घोलती बातों-बातों में ।
    हर बंध बेहद मनमोहक है दी।

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    1. बहुत बहुतसारा स्नेह प्रिय श्वेता, आपकी प्यारी सी प्रतिक्रिया सदा रचना के समानांतर भाव उजागर करती सुंदर सटीक।

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  8. बहुत सुन्दर ... सच में बेटियां जीवन की धुरी होती हैं ... सांस होती हैं घर की खुशियों की ... और किसी से कम नहीं होती ...

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    1. जी आभार आपका आदरणीय नासवा जी।
      आपकी विशिष्ट प्रतिक्रया सदा उत्साह द्विगुणित करती है ।
      बहुत सा आभार।
      सादर।

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  9. दूर्वा कोमल, पूर्वा जीवन।
    सही कहा आपने बेटियां कलेजा है
    जो निकले तो नहीं बनता,रहे तो नहीं बनता।
    चलन है वरना इनकी रुखसती किसको अच्छी लगी।
    शानदार।

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    1. जी सादर आभार, आपकी सुंदर टिप्पणी से रचना के भाव मुखरित हुए ।
      सही कहा आपने कलेजा निकलना जैसी ही अनुभुति है बेटियों का जाना।
      सादर।

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  10. बहुत उपयुक्त प्रतिमान चुना है बेटियों के लिये अमल कोमल ,मंगल दूर्वा.

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    1. वाह चार शब्दों में पुरी रचना के अंतर्निहित भावों को समेट लिया आपने सच मन को बहुत सुकून मिलता है जब रचना पर इतनी गहन टिप्पणी आती है,
      बहुत बहुत आभार आपका।
      सदा स्नेह बना रहे ।
      सादर सस्नेह।

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  11. सच में बेटियों के बिना जीवन की कल्पना करना भी कठिन है. बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय आपकी सुंदर प्रतिक्रिया से रचना गतिमान हुई।
      सादर।

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  12. बाबा की प्यारी मां के हृदय की आस
    भाई की सोन चिरैया आंगन का उजास ।

    इंद्रधनुष सा लुभाती मन आकाश पर सजती
    घर छोड़ जाती है तो मन ही मन लरजती ।
    बहुत सुंदर रचना, कुसुम दी।

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    1. सस्नेह आभार ज्योति बहन, सुंदर मनभावन आपकी प्रतिक्रिया सदा रचना का मान बढ़ाती है ।
      सस्नेह।

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  13. खूबसूरत उपमानों से सुसज्जित सुंदर और भावपूर्ण रचना । पथरीले रास्ते में जैसे दूर्वा अपना अस्तित्व बनाये रखती है वैसे ही विषम परिस्थितियों में बेटियां भी अस्तित्व के लिए जद्दोजहद करती हैं ।

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  14. क्या है बेटियां लू के थपेड़ों में ठंडी पूर्वा
    जीवन के पथरीले रास्तों में ऊग आई दुर्वा ।

    सुन्दर कृति।

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  15. भांपती दुनिया के तेवर चुप हो बैठ जाती

    hmmm...kitnaa sahii likhaa he aapne...chup ho ke beth jana dhtaa he..


    khud ik beti hun..aur kaise papa kehtae hain ...bahut acchi beti hun..har shabd mehsus kiyaa

    rchnaa ke liye bdhaayi

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  16. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार (06-02-2020) को 'बेटियां पथरीले रास्तों की दुर्वा "(चर्चा अंक - 3603) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है 

    रेणु बाला 

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    1. बहुत बहुत आभार आपका रेणु बहन मेरी रचना को अपनी पसंद बनाकर चर्चा मंच पर प्रस्तुत करने के लिए,मैं अवश्य उपस्थित होऊंगी।
      सस्नेह।

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  17. Replies
    1. बहुत बहुत आभार सीमा जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला।
      सस्नेह।

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  18. बाबा की प्यारी माँ के हृदय की आस
    भाई की सोन चिरैया आँगन का उजास ।
    वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब अद्भुत अप्रतिम सृजन
    शानदार उपमानों से सजी।

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    1. ढेर सा स्नेह सुधा जी आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन हुआ।
      बहुत बहुत आभार।

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  19. बेटियों को समर्पित एक मार्मिक रचना जिसमें कोमल भावों को मोहक शब्दावली में पिरोया गया है. सच कहा आपने आदरणीया दीदी कि बेटियाँ पथरीली राहों की नर्म दूब जैसी राहत देने वाली होती हैं. मनभावन सृजन.
    सादर नमन आदरणीया दीदी.

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