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Friday, 20 September 2019

रूह से सजदा

रूह से सजदा

सोने दो चैन से मुझे न ख़्वाबों में ख़लल डालो,
न जगाओ मुझे यूं न वादों में  ख़लल डालो।

शाख से टूट पत्ते दूर चले उड के अंजान दिशा
ए हवाओं ना रुक के यूं मौज़ों में ख़लल डालो।

रात भर रोई नरगिस सिसक कर बेनूरी पर अपने
निकल के ऐ आफ़ताब ना अश्कों में ख़लल डालो।

डूबती कश्तियां कैसे, साहिल पे आ ठहरी धीरे से
भूल भी जाओ ये सब ना तूफ़ानों में ख़लल डालो।

रुह से करता रहा सजदा पशेमान सा था दिल
रहमोकरम कैसा,अब न इबादतों में ख़लल डालो।

                  कुसुम कोठारी

35 comments:

  1. डूबती कश्तियां कैसे, साहिल पे आ ठहरी धीरे से
    भूल भी जाओ ये सब ना तूफ़ानों में ख़लल डालो।
    रुह से करता रहा सजदा पशेमान सा था दिल
    रहमोकरम कैसा,अब न इबादतों में ख़लल डालो।
    प्रिय कुसुम बहन जितना उम्दा लेखन आपका हिंदी में है उतना ही उर्दू में भी कमाल है | जिसकी बानगी ये रचना है | सभी अशर सार्थक और मन को छूने वाले हैं | मेरा हार्दिक शुभकामनायें और बधाई इस प्यारी सी गज़ल के लिए |

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    1. बहुत बहुत आभार प्रिय रेणु, बहन आप की सराहना आपका स्नेह है, बहन बस बदलाव के तहत लिख लेती हूं कोई खास अधिकार नहीं है इस विधा पर मेरा बस आप चाहने वालों का स्नेह मिल जाता है और मेरा बदलाव हो जाता है ।
      आपकी मोहक स्नेहिल प्रतिक्रिया हर साधारण को असाधारण बना देती है ।
      ढेर सारा स्नेह।

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  2. कृपया अशर् नही आशार पढ़ें 🙏🙏

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  3. वाह वाह वाह
    दार्शनिक भावना...और जानेमन से बात भी.

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  4. जय मां हाटेशवरी.......
    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    22/09/2019 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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    1. जी पांच लिंक के लिए मेरी रचना का चयन मेरे लिए सदा सम्मान का विषय है आदरणीय ।मैं चर्चा में जरूर आऊंगी ।
      सादर आभार।

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  5. बहुत ही सुंदर कुसुम जी ,एक एक शब्द दिल को छूता हुआ सा ,सादर

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    1. जी कामिनी बहन बहुत बहुत सरनेम आभार आपकी मनभावन प्रतिक्रिया से मेरा उत्साह वर्धन हुआ।

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  6.  जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 21 सितंबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. स्नेह आभार श्वेता!
      सांध्य दैनिक में मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
      मैं अवश्य हाजिर होऊंगी।
      सादर।

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  7. सदैव की तरह मंत्रमुग्ध करती रचना, सादर..

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    1. बहुत बहुत आभार आपका भाई!
      सदा मेरा हौसला अफजाई के लिए।

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  8. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (22-09-2019) को "पाक आज कुख्यात" (चर्चा अंक- 3466) पर भी होगी।


    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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    1. बहुत बहुत आभार! चर्चा मंच पर मेरी रचना का चयन रचना और मेरे दोनों के लिए गर्व का विषय है ।
      सादर।

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  9. Replies
    1. ब्लाॅ॑ग पर आपका स्वागत है ।
      बहुत बहुत आभार आपका।

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  10. वाह! आज के दौर में भी ब्लॉगिंग जिंदाबाद!!!

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  11. रात भर रोई नरगिस सिसक कर बेनूरी पर अपने
    निकल के ऐ आफ़ताब ना अश्कों में ख़लल डालो।
    वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब सृजन....

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    1. बहुत बहुत आभार सुधा जी , सक्रिय प्रतिक्रिया आपकी मनमोहक।
      सस्नेह।

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  12. वाह
    बहुत सुंदर
    बधाई

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    1. बहुत सा आभार आपका आदरणीय।

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  13. वाह बेहतरीन प्रस्तुति सखी।👌👌👌

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    1. बहुत बहुत आभार सखी।
      सस्नेह

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  14. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    २३ सितंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका ।
      सादर ।

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  15. बेहतरीन रचना हर शेर शानदार नमन

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका।
      सस्नेह।

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  16. शाख से टूट पत्ते दूर चले उड के अंजान दिशा
    ए हवाओं ना रुक के यूं मौज़ों में ख़लल डालो।

    रात भर रोई नरगिस सिसक कर बेनूरी पर अपने
    निकल के ऐ आफ़ताब ना अश्कों में ख़लल डालो।... बेहतरीन से बेहतरीन दी जी
    सादर

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    1. आपकी टिप्पणी मन मोह गई और उत्साह दुगना सुधा ।
      बहुत सा स्नेह आभार।

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  17. अनजान दिशा में उड़ते पत्तों की उड़ान में खलल न डाले पवन ...
    बहुत खूब लिखा है ... हर शेर गहरा मर्म लिए ...

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  18. जी सादर आभार इस विधा में आप की सराहना सचमुच हर्षित कर गई ।
    सादर ।
    उत्साहवर्धक।

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  19. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (22-06-2020) को 'कैनवास में आज कुसुम कोठारी जी की रचनाएँ' (चर्चा अंक-3740) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हमारी विशेष प्रस्तुति 'कैनवास' में आपकी यह प्रस्तुति सम्मिलित की गई है।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    -रवीन्द्र सिंह यादव

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