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Friday 11 January 2019

आओ सब मिल करें आचमन

आओ सब मिल करें आचमन

भोर की लाली लाई
आदित्य आगमन की बधाई
रवि लाया एक नई किरण
संजोये जो,सपने सब हो पूरण
पा जायें सच में नवजीवन
उत्साह की सुनहरी धूप का उजास
भर दे सब के जीवन में उल्लास ।

साँझ ढले श्यामल चादर
जब लगे ओढ़ने विश्व!
नन्हें नन्हें दीप जला सब
प्रकाश बिखेरो चहुँ ओर
दे आलोक, हरे हर तिमिर
त्याग अज्ञान मलीन आवरण
सब ओढ ज्ञान का परिधान पावन।

मानवता भाव रख अचल
मन में रह सचेत प्रतिपल
सह अस्तित्व ,समन्वय ,समता ,
क्षमा ,सजगता और परहितता
हो सब के रोम रोम में संचालन
सब प्राणी पाये सुख,आनंद
बोद्धित्व का हो घनानंद।

लोभ मोह जैसे अरि को हरा
दे ,जीवन को समतल धरा
बाह्य दीप मालाओं के संग
प्रदीप्त हो दीप मन अंतरंग
जीवन में जगमग ज्योत जले
धर्म ध्वजा सुरभित अंतर मन
सब जीव दया का पहन के वसन।

          कुसुम कोठारी ।

20 comments:

  1. सब प्राणी पाये सुख,आनंद
    बोद्धित्व का हो घनानंद।
    बहुत ही सुंदर सृजन दीदी, बधाईयाँ

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    1. बहुत सा स्नेह आभार भाई आपकी प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली ।

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    2. बहुत सुन्दर रचना आदरणीया कुसुम जी
      सादर

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    3. ढेर सा स्नेह आभार सखी।

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  2. वाह बेहतरीन रचना सखी

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  3. साँझ ढले श्यामल चादर
    जब लगे ओढ़ने विश्व!
    नन्हें नन्हें दीप जला सब
    प्रकाश बिखेरो चहुँ ओर
    बहुत सुंदर भाव

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    1. बहुत बहुत स्नेह आभार शशि भाई उत्साह वर्धन के लिये।

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  4. बहुत सुन्दर सृजन कुसुम जी !
    मानवता भाव रख अचल
    मन में रह सचेत प्रतिपल
    सह अस्तित्व ,समन्वय ,समता ,
    क्षमा ,सजगता और परहितता ....अप्रतिम भाव ।

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  5. सस्नेह आभार ज्योति बहन उत्साह वर्धन के लिये

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  6. बहुत सा आभार मीना जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला सदा स्नेह बनाये रखें ।
    सस्नेह।

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  7. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    १४ जनवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. सस्नेह आभार श्वेता ।

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  8. बेहतरीन... लाजबाब...., सादर नमन आप को और आप की लेखनी को

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    1. सस्नेह कामिनी जी आपकी प्रतिक्रिया सदा उत्साह बढाती है ढेर सा स्नेह आभार।

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  9. बहुत सुन्दर सृजन ... सब के प्राण अनत सुख की कामना के साथ मंगल स्वर ...
    प्रवाहमय रचना है ...

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया का ।

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  10. सह अस्तित्व ,समन्वय ,समता ,
    क्षमा ,सजगता और परहितता
    हो सब के रोम रोम में संचालन
    सर्व मंगल भावों से सजी सुन्दर प्रस्तुति...

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    1. आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया का सस्नेह आभार सुधा जी ।

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  11. Replies
    1. जी सादर आभार प्रोत्साहन के लिए।

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