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Tuesday 1 January 2019

जीवन अनसुलझी पहेली

बहारों ने  फिर ली  कुछ ऐसी करवट
शोलो में शबनमी अब तपिस धीमी सी।

मौसम यूं कह रहा कर कर सलाम
फूलों की नियती में हर हाल झड़ना।

जर्द पत्तों का शाख से बिछड़ना
तिनके के नशेमनो  का उजडना।

ख्वाहिशों का रोज सजना बिखरना
सदियों से चला आ रहा ये सितम।

मन के बंध तोड इच्छा क्यों उडती अकेली 
मगृ मरीचिका जीवन की अनसुलझी पहेली।

              कुसुम कोठारी।

32 comments:

  1. मन के बंध तोड इच्छा क्यों उडती अकेली
    मगृ मरीचिका जीवन की अनसुलझी पहेली।
    बहुत खूब.......... कुसुम जी ,नववर्ष मगलमय हो

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    1. बहुत सा स्नेह आभार कामिनी जी।
      आपको भी पुरे परिवार सहित नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।

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  2. सत्य वचन जीवन की पहेली मृगतृष्णा जैसी ही है

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    1. जी सादर आभार ।उत्साह वर्धन के लिये। नव वर्ष मंगलमय हो।

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  3. ख्वाहिशों का रोज सजना बिखरना
    सदियों से चला आ रहा ये सितम।

    मन के बंध तोड इच्छा क्यों उडती अकेली
    मगृ मरीचिका जीवन की अनसुलझी पहेली।
    सच कहा कुसुम दी कि जीवन एक अनसुलझी पहेली ही हैं। सुंदर प्रस्तुति।

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    1. बहुत बहुत स्नेह आभार ज्योति बहन, आपकी रचना को समर्थन देती प्रतिक्रिया से मन खुश हुवा ।
      नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें आपको एवं आप के परिजनों को।

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  4. नमस्ते,

    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 3 जनवरी 2019 को प्रकाशनार्थ 1266 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

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  5. जी सादर आभार मै अवश्य उपस्थित रहूंगी

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  6. ब्लॉग बुलेटिन टीम की और मेरी ओर से आप सब को नव वर्ष २०१९ की हार्दिक शुभकामनाएं|


    ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 02/01/2019 की बुलेटिन, " नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें सभी पाठक वर्ग को।
      मेरी रचना को ब्लॉग बुलेटिन में सामिल करने हेतू तहेदिल से शुक्रिया

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  7. बहुत खूब..
    बहुत ही सुंदर रचना।

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    1. रविंद्र जी बहुत सा आभार आपका।

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  8. बहुत सुन्दर कुसुम जी, इस अनबूझ पहेली को सुलझाते-सुलझाते -
    'चल खुसरो घर आपने, रेन भई चहुँ-देस'
    की स्थिति आ जाती है.

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  9. सादर आभार सर ।
    "चल खुसरो घर आपने" ही तो शाश्वत है जन्म ही एक्सीडेंट हैं महाप्रयाण तो निश्चित हैं।
    उत्साह वर्धन करती आपकी उपस्थिति का फिर से आभार।
    सादर।

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  10. प्रकृति के अनबूझ रहस्यों की भीतर झांकती खूबसूरत रचना ।

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    1. मीना जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना को गति मिली, सुंदर प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया का सस्नेह आभार ।

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  11. बहारों ने फिर ली कुछ ऐसी करवट
    शोलो में शबनमी अब तपिस धीमी सी।
    वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर, सार्थक रचना..

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    1. सुधा जी आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से बहुत खुशी मिलती है सस्नेह आभार।

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  12. उत्साह वर्धन के लिये तहेदिल से शुक्रिया।
    सादर।

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  13. वाह्हह...वाह्हह....बहुत ही सुंदर लाज़वाब रचना...👌👌👌👌
    हर अशआर उम्दा है दी..
    मन के बंध तोड इच्छा क्यों उडती अकेली
    मगृ मरीचिका जीवन की अनसुलझी पहेली।
    बहुत ही सुंदर ..बधाई दी एक सुंदर सृजन के लिए।

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    1. प्यार भरा आभार प्रिय श्वेता आपने मेरी रचना को खास बना दिया।
      सस्नेह

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  14. ख्वाहिशों का रोज सजना बिखरना
    सदियों से चला आ रहा ये सितम।...वाह !!सखी बहुत ख़ूब 👌 नारी जीवन की करुण व्यथा,
    सम्पूर्ण जीवन चंद शब्दों में समेट दिया ,बहुत ही सराहनीय
    सादर

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    1. सस्नेह आभार सखी आपकी सराहना से उत्साहित हुई मैं ।
      सस्नेह ।

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  15. "ख्वाहिशों का रोज सजना बिखरना
    सदियों से चला आ रहा ये सितम।"

    जी बहुत खूब लिखा है आपने।

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    1. जी बहुत बहुत शुक्रिया आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया।
      सादर ।

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  16. मन के बंध तोड इच्छा क्यों उडती अकेली
    मगृ मरीचिका जीवन की अनसुलझी पहेली।
    बहुत सुंदर रचना सखी

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    1. बहुत सा स्नेह और आभार सखी उत्साह बढाने के लिये ।

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  17. अनबूझ रहस्यों की भीतर झांकती
    ख्वाहिशों का रोज सजना बिखरना
    सदियों से चला आ रहा ये सितम।

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    1. जी सादर आभार आपकी सराहना देती पंक्तियाँ उत्साह बढाती हुई ।
      सादर।

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  18. हर किसी को अपनी नियति अनुसार ही करना होता है ... समय ये सब स्वयं की करवा लेती है ... हर छंद लाजवाब है ...

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