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Tuesday 21 August 2018

चनाब का पानी ठहरा होगा

तारों ने बिसात उठाली

फकत खारा पन न देख, अज़ाबे असीर होगा
मुस्ल्सल  बह गया तो फिर बस समंदर होगा ।

दिन ढलते ही आंचल आसमां का सूर्खरू होगा
रात का सागर लहराया न जाने कब सवेरा होगा।

तारों ने बिसात उठा ली असर अब  गहरा होगा
चांद सो गया जाके, अंधेरों का अब पहरा होगा ।

छुपा है पर्दो मे कितने,जाने क्या राज गहरा होगा
अब्र के छटंते ही बेनकाब  चांद का चेहरा होगा ।

साये दिखने लगे  चिनारों पे, जाने अब क्या होगा
मुल्कों के तनाव से चनाब का पानी ठहरा होगा ।
                 
                    कुसुम कोठारी।

24 comments:

  1. बहुत सुंदर और सार्थक रचना कुसुम जी👌👌👌

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    1. सस्नेह आभार सखी आपकी त्वरित प्रतिक्रिया सदा मनभावन रहती है ।

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  2. वाह!!कुसुम जी ,बहुत ही सुंदर और सटीक ।

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    1. स्नेह आभार सखी आपकी सक्रिय उपस्थित मन लुभा गई।

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  3. बेहतरीन गजल भावविभोर कर दिया

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    1. ब्लॉग पर आपको देख सुखद लगा सखी आपको पसंद आई रचना ,बहुत सा आभार।

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  4. आफरीन .....गहरे उन्वान लिये पंक्तियाँ ....

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    1. बहुत बहुत आभार मीता ।

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  5. सच में तारों ने बिसात उठा ली👌👌👌👏👏👏👏

    Waahhhhhhhhhhhhh दी जी। मंच लूट लिया आपने

    तारों ने बिसात उठा ली असर अब गहरा होगा
    चांद सो गया जाके, अंधेरों का अब पहरा होगा ।

    एक से बढ़कर एक तब्सिरा।।। वाह

    साये दिखने लगे चिनारों पे, जाने अब क्या होगा
    मुल्कों के तनाव से चनाब का पानी ठहरा होगा ।

    सारे ख़्याल एक से बढ़कर एक। बेहद लुत्फ़ आया।

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    1. ढेर सा आभार इतनी सुंदर प्रतिक्रिया के लिये भाई ।उत्साह बढाती आपकी पंक्तियाँ।

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  6. सुंदर....बेहतरीन गजल 👌👌👌 बधाई

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    1. सस्नेह आभार सखी आपके आने से खुशी आजाती है साथ साथ।

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  7. जो कहा भी नहीं वो भी कह दिया आपने .बहुत सुन्दर रचना बहुत बहुत .

    छुपा है पर्दो मे कितने,जाने क्या राज गहरा होगा
    अब्र के छटंते ही बेनकाब चांद का चेहरा होगा ।

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    1. जी सादर आभार आपकी सार्थक प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला ।

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  8. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 29 अगस्त 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!



    .

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    1. जी सादर आभार मै कृतज्ञ हूं, "और आना भी निश्चित है।
      सस्नेह।

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  9. फकत खारा पन न देख, अज़ाबे असीर होगा
    मुस्ल्सल  बह गया तो फिर बस समंदर होगा...
    वाह बेहतरीन प्रस्तुति । सुंदर रचना। शुभकामनाएं ।

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    1. आपकी सक्रिय सापेक्ष प्रतिक्रिया से रचना को गति मिली पुरुषोत्तम जी, सादर आभार।

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  10. वाह्ह्...वाहह्ह...दी....👌👌👌👌👌
    बेहद उम्दा,लाज़वाब लेखन दी।
    एक सार्थक रचना👍👍

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    1. सस्नेह आभार प्रिय, आपके आने से रचना स्वयं ही सार्थक हो जाती है उस पर आपकी सराहना अनुपम उपहार।

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  11. तारों ने बिसात उठा ली असर अब गहरा होगा
    चांद सो गया जाके, अंधेरों का अब पहरा होगा ।
    .
    साये दिखने लगे चिनारों पे, जाने अब क्या होगा
    मुल्कों के तनाव से चनाब का पानी ठहरा होगा ।
    .
    जी, ग़ज़लों के बारे में तो मुझे कुछ नहीं पता, पर भाव पक्ष देखकर वाकई मन प्रसन्न हो गया। बेहतरीन सृजन...👏👏👏

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  12. जी बहुत बहुत आभार आपका।

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