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Sunday 10 July 2022

पावस की आहट


 पावस की आहट


दस्तक दे रहा दहलीज पर कोई 

चलूँ उठ के देखूँ कौन है 

कोई नहीं द्वार पर

फिर ये धीमी-धीमी मधुर थाप कैसी? 

चहुँ ओर एक भीना सौरभ

दरख्त भी कुछ मदमाये से

पत्तों की सरसराहट

एक धीमा राग गुनगुना रही

कैसी स्वर लहरी फैली 

फूल कुछ और खिले-खिले

कलियों की रंगत बदली सी

माटी महकने लगी है

घटाऐं काली घनघोर 

मृग शावक सा कुलाँचे भरता मयंक

छुप जाता जा कर उन घटाओं के पीछे

फिर अपना कमनीय मुख दिखाता

फिर छुप जाता

कैसा मोहक खेल है

तारों ने अपना अस्तित्व

जाने कहाँ समेट रखा है

सारे मौसम पर मदहोशी कैसी

हवाओं में किसकी आहट

ये धरा का अनुराग है

आज उसका मनमीत

बादलों के अश्व पर सवार है

ये पहली बारिश की आहट है

जो दुआ बन दहलीज पर

बैठी दस्तक दे रही है

चलूँ किवाडी खोल दूँ

और बदलते मौसम के

अनुराग को समेट लूँ

अपने अंत: स्थल तक।


         कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

15 comments:

  1. वाह! चलो देखे दहलीज पर किस ने दी है दस्तख। उड़ते से बादल, पत्तों की सरसराहट या हवा ने खुड़काई है कुंडी।
    गज़ब लिखा 👌
    सराहनीय सृजन

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    1. बहुत बहुत आभार आपका प्रिय अनिता आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ।
      सस्नेह।

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (12-7-22) को सोशल मीडिया की रेशमी अंधियारे पक्ष वाली सुरंग" (चर्चा अंक 4488) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

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    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी।
      मैं चर्चा पर हो आई शानदार चर्चा प्रस्तुति।
      सस्नेह।

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  3. Replies
    1. हृदय से आभार आपका विश्व मोहन जी।
      सादर।

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  4. निसन्देह...वर्षा ऋतु का स्वागत ऐसे ही होना चाहिये... सुन्दर रचना...👍

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    Replies
    1. जी हृदय से आभार आपका।
      आपकी बहुमूल्य टिप्पणी से लेखन सार्थक हुआ।
      सादर।

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  5. ये पहली बारिश की आहट है

    जो दुआ बन दहलीज पर

    बैठी दस्तक दे रही है।
    वर्षा ऋतु के आगमन का मनहर वर्णन

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    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका अनिता जी उत्साह वर्धन हुआ आपकी प्रतिक्रिया से।
      सस्नेह।

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  6. बहुत खूब ! रचना में बरखा का सौंदर्य अत्यंत प्रभावशाली है ।

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    1. सस्नेह आभार आपका जिज्ञासा जी रचना को विहंगम दृष्टि से देखा आपने।
      सस्नेह।

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  7. बहुत बहुत सुन्दर

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    1. हृदय से आभार आपका आलोक जी।

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  8. वाह! बहुत खूब लिखा है आपने!

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