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Wednesday 14 March 2018

हर पीड़ा से भूख बड़ी.....

हर पीडा से भूख बड़ी है
इसी भूख ने गांव छुडाया
भाई बहन परिवार छुडाया
मां की ममता
पीपल छांव छुडाई
बाबा की मनुहार छुडाई
दादी का दूलार छुडाया
अब तो सब कुछ ही छुटा
जीवन का आदर्श भी टूटा
बचपन जैसे रूठा रुठा
जीवन है बस लुटा और झूठा ।
           कुसुम कोठारी


2 comments:

  1. बहुत सुन्दर ,सार्थक और सटीक रचना
    बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए

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