मन की वीणा - कुसुम कोठारी।
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Wednesday, 14 March 2018
हर पीड़ा से भूख बड़ी.....
हर पीडा से भूख बड़ी है
इसी भूख ने गांव छुडाया
भाई बहन परिवार छुडाया
मां की ममता
पीपल छांव छुडाई
बाबा की मनुहार छुडाई
दादी का दूलार छुडाया
अब तो सब कुछ ही छुटा
जीवन का आदर्श भी टूटा
बचपन जैसे रूठा रुठा
जीवन है बस लुटा और झूठा ।
कुसुम कोठारी
2 comments:
NITU THAKUR
16 March 2018 at 02:34
बहुत सुन्दर ,सार्थक और सटीक रचना
बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए
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मन की वीणा
17 April 2018 at 03:57
सादर आभार।
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बहुत सुन्दर ,सार्थक और सटीक रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए
सादर आभार।
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