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Tuesday 15 March 2022

पर्व होली


 पर्व होली


नेह की उलझी डगर में

हो सजग वो क्यों बहकता

जो रखें प्रतिमान ऊँचा

भाल उनका ही चमकता।


होलिका मद आप डूबी

शक्ति भ्रष्टा मोह में थी

भूल कर सब दंभ में वो

मूढ़ता की खोह में थी

जल मरी अज्ञान तम में

हो अमर फिर ध्रुव गमकता।


तथ्य कितने ही छुपाये

सत्य की ही जीत रहती

लुप्त सी बातें नहीं ये

राग बन खुशियाँ छलकती

इक महोत्सव रूप धरके

पर्व होली यूँ दमकता।।


भाव में सद्भावना हो

प्रेम का अनुराग न्यारा

भ्रात भावों में छुपा है

मेल का दृष्टाँत प्यारा

 घोल केसर सिंधु नाचे

रंग का उत्सव  महकता।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

22 comments:

  1. सुन्दर सृजन। शुभकामनाएं होली की।

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    1. जी हृदय से आभार आपका आदरणीय।
      सादर।

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17.3.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4372 में दिया जाएगा| चर्चा मंच ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति सभी चर्चाकारों की हासला अफजाई करेगी
    धनयवाद
    दिलबाग

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    Replies
    1. जी हृदय से आभार आपका रचना को चर्चा में शामिल करने के लिए।
      मैं चर्चा पर उपस्थित रहूंगी।
      सादर।

      Delete
  3. Replies
    1. हृदय से आभार आपका , आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सस्नेह।

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  4. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, त्योहार मनाने का मतलब सही राह पर चलना सीखना। हैप्पी होली।
    होली : राजस्थानी धमाल with Lyrics व नृत्य विशेष

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    1. हृदय से आभार आपका रचना को पसंद करने के लिए।
      सादर।

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  5. वाह बहुत सुन्दर भाव , अच्छी रचना, राधे राधे।

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    1. जी राधे राधे।
      हृदय से आभार आपका आदरणीय उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिए।
      सादर।
      ब्लॉग पर सदा स्वागत है आपका।

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  6. Replies
    1. जी हृदय से आभार आपका।
      आपके आने से उत्साहवर्धन हुआ।
      सस्नेह।

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  7. भाव में सद्भावना हो

    प्रेम का अनुराग न्यारा

    भ्रात भावों में छुपा है

    मेल का दृष्टाँत प्यारा

    घोल केसर सिंधु नाचे

    रंग का उत्सव महकता।।

    होली का असली मर्म समझाती बहुत ही सुंदर भावपूर्ण सृजन आदरणीया कुसुम जी,
    आपको और आपके परिवार को भी होली की अनंत शुभकामनायें

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    1. आपकी स्नेहिल शुभकामनाएं और मन कों आनंदित करती टिप्पणी से रचना में नव उर्जा का संचार हुआ प्रिय कामिनी जी।
      सस्नेह।

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  8. वाह!वाह!प्रिय कुसुम दी गज़ब लिखते हो।
    आपकी सैली कमाल की है।स्कूल के बच्चों को काफ़ी बार आपकी रचनाएँ भेजती हूँ। बड़े उत्साह से पढ़ते है।
    सराहनीय सृजन गहन विचार लिए।
    सादर

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    1. सस्नेह आभार आपका प्रिय अनिता, बहुत अच्छा लगा कि स्कूल के विद्यार्थियों तक मेरी रचना आपके द्वारा प्रेषित की जाती है और पसंद की जाती है सच मन आनंद से विभोर हो गया लगता है मेरा लेखन आज सचमुच सार्थक हो गया‌।
      हृदय से ढेर ढेर सारा आभार आपके स्नेह और प्रतिबद्धता के लिए।
      मैं सच में अभिभूत हूँ,और धन्यवाद का कोई शब्द नहीं है मेरे पास।

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  9. Replies
    1. हृदय से आभार आपका अलोक जी।
      सादर।

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  10. घोल केसर सिंधु नाचे

    रंग का उत्सव महकता..
    बहुत सुंदर छायाचित्र प्रस्तुत किया आपने ।
    होली की भव्यता का दिव्य वर्णन ।

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  11. जी हृदय से आभार आपका रचना को पाँच लिंक में शामिल करने के लिए।
    मै मंच पर उपस्थित रहूंगी।
    सादर।

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  12. हृदय से आभार आपका प्रिय जिज्ञासा जी आपको रचना पसंद आई मुझे लेखन का अनुदान मिला।
    सस्नेह।

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  13. तथ्य कितने ही छुपाये

    सत्य की ही जीत रहती

    लुप्त सी बातें नहीं ये

    राग बन खुशियाँ छलकती

    इक महोत्सव रूप धरके

    पर्व होली यूँ दमकता।।
    दम्भ एवं मूढ़ता का तिमिर हर सत्य को विजयी बना उजागर करते हमारे त्यौहार होली पर्व पर बहुत ही लाजवाब सृजन ।
    वाह!!!

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