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Sunday 23 January 2022

शूरां री धरती


 शूरां री धरती (राजस्थान)


कण-कण में जनम्या बाँकुड़ा

नाहर सिंघ सुबीर 

देश दिसावर गगन गूँजतो

रुतबो राख्यो धीर।


शूर जनमिया इसा सांतरा

सूरज जितरी आग

कालजड़ों बेरयाँ रो काढ्यो

माटी जाग्या भाग

जोद्धा लडिया बिणा शीश के

अणुपम कितरा वीर।।


कँवली कुमदन सी लजकाण्याँ

माटी रो सणमाण

राण्याँ तपते तेज सी

पळ में तजगी प्राण

जौहर ज्वाला होली खेली

सदा सुरंगों चीर।


बालुंडारा नान्हा पगल्या

पालनिये दिख जावे

दाँता तले आंगल्याँ सा

करतब हिय लुभावे

प्राण लियाँ हाथाँ में घूमे

हरे देश री पीर।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'


बांकुड़ा=बांकुरे

जन्मया=जन्मे  या जन्म लिया

देश-दिसावर=देश विदेश

रुतबों=महत्ता, जनमिया=जन्मे

सांतरा= जबरदस्त,जितरी=जितनी

कालजड़ो=कलेजा

बेरयाँ=दुश्मनों का

काढ्यो=निकाला

कितना =कितने

कँवली कुमदन सी लजकाण्याँ=

कोमल कमलिनी सी नाज़ुक (लचक वाली) सणमाण=सम्मान

सदा सुरंगों चीर= सदा सुहागन, जिनका वस्त्र सदा रंगीन हो।

बालुंडारा=बालको के, पगल्या=पैर,आंगल्याँ अगुलियाँ

34 comments:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 25 जनवरी 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सादर आभार आपका पांच लिंक पर रचना को देखना सदैव सुखद अहसास। मैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
      सादर सस्नेह

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  2. शूर जनमिया इसा सांतरा
    सूरज जितरी आग
    कालजड़ों बेरयाँ रो काढ्यो
    माटी जाग्या भाग
    जोद्धा लडिया बिणा शीश के
    अणुपम कितरा वीर।।
    ओजपूर्ण चित्रण मरुभूमि का...आपके सृजन ने धरती धोरां री की बरबस याद दिला दी ॥ शब्द शब्द सरस और वीररस से परिपूर्ण।
    अद्भुत और अप्रतिम सृजन कुसुम जी ॥

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    1. वाह!अद्भुत...
      सच कहा आदरणीय मीना दी जी धरती धोरा के ज्यों बह रहा है सृजन।
      सादर

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    2. हृदय से आभार आपका मीना जी,आपकी मोहक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      धरती धोरा री अद्भुत गौरव गाथा है राजस्थान की आदरणीय कन्हैयालाल जी सेठिया द्वारा रचित कालजयी सृजन ,एक लम्बी कविता। मेरे छोटे से प्रयास करें ये गीत याद आया तो मेरा सौभाग्य है ये।
      सस्नेह।

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    3. सस्नेह आभार आपका प्रिय अनिता ।

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  3. बहुत बहुत सुन्दर रचना

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    1. जी हृदय से आभार आपका आलोक जी।

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  4. बहुत दिनों तक धरती के लालों को, उनके इतिहास को छिपाया-दुराया गया ! भले ही देर हुई हो, पर आज जरुरत है वर्त्तमान पीढ़ी को अपने स्वर्णिम इतिहास की जानकारी देने की

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    1. जी सही है , बहुत प्रेरक प्रतिपंक्तियाँ हैं आपकी।
      वर्त्तमान पीढ़ी को अपने स्वर्णिम इतिहास की जानकारी होनी ही चाहिए।
      शानदार प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार आपका गगन जी।
      साबर।

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  5. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (25-1-22) को " अजन्मा एक गीत"(चर्चा अंक 4321)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. हृदय से आभार आपका कामिनी जी चर्चा में स्थान देने के लिए।
      चर्चा मंच पर उपस्थित रहूंगी।
      सादर सस्नेह।

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  6. बहुत सुंदर भावपूर्ण,ओजपूर्ण रचना ।

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    1. हृदय से आभार आपका जिज्ञासा जी।
      सस्नेह।

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  7. सच देश की पीर मिटाने वाले वीरभूमि राजस्थान का देशप्रेम सबके लिए प्रेरणास्रोत है
    रचना राजस्थानी भाषा में पढ़कर मन में गहरे उतर गई

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    1. हृदय से आभार आपका कल्पना जी , सुंदर मनभावन प्रतिक्रिया से रचना को नव उर्जा मिली ।
      सस्नेह।

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  8. अद्भुत... आपकी प्रतिभा को नमन।
    सादर

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    1. सस्नेह आभार आपका प्रिय अनिता।
      सस्नेह।

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  9. अद्भुत सृजन 👌👌

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    1. हृदय से आभार आपका सखी ।
      उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।
      सस्नेह।

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  10. अद्भुत सृजन बहुत-बहुत बधाई आपको

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    1. हृदय से आभार आपका उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया।
      सादर।

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  11. वाह @
    सुंदर व भावपूर्ण सृजन !@

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    1. जी हृदय से आभार आपका, उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया।
      सादर।

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  12. बहुत बढियां सृजन

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    1. हृदय से आभार आपका भारती जी, उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए ।
      सस्नेह।

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  13. क्या बात है कुसुम बहन! दांतों तले उंगली दबाने वाले शौर्यवीरों की उर्वर भूमि राजस्थान की सुन्दरअभ्यर्थना 👌👌👌 लोकभाषा में सौंदर्य और भी निखर आया। है। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आपको 🙏🙏

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    1. आपकी दिलकश प्रतिक्रिया लेखन में सुहागे सा काम करती है, रेणु बहन ।
      सस्नेह आभार आपका सुंदर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए।
      सस्नेह।

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  14. Replies
    1. सादर आभार आपका दी, रचना को आपका आशीर्वाद मिला।
      सादर नमन।

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  15. आंचलिक भाषा में बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना!

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    1. हृदय से आभार आपका आदरणीय, आपकी प्रतिक्रिया से
      उत्साहवर्धन हुआ।
      सादर।

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  16. शूर वीरों का नमन आंचलिक भाषा में जितना सहज लगता है उतना किसी और भाषा में नहीं .. मिटटी की महक जुड़ जाती है ऐसे गीतों में लोक गीत की तरह ...

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  17. सही कहा आपने अपनी भाषा में भाव संप्रेषण प्रभावशाली होते हैं ।
    हृदय से आभार आपका सुंदर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए।
    सादर।

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