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Friday 7 January 2022

चंद्रमणि छंद में कमल के पर्यायवाची


 कमल के पर्यायवाची शब्दों पर चंद्रमणि छंद।  13/13


सरसिज


सरसिज सोहे सर सकल, सरसाए सुंदर सरस,

मोहक मन को मोहते, सूना पुष्कर है अरस।।


पंकज


पंकज पद पूजूँ सदा, पावन पुलकित प्राण है। 

पीड़ा हरजन की हरे, जन-जन के संत्राण है।। 



नीरज

नीरज आसन नीरजा, नीरज नैना नेह है।

वरदात्री वर दे वहाँ, माणिक मोती मेह है।


शतदल


शतदल शय्या पर शयन, शारद माँ शुक्लाम्बरा ।।

सुमिरन करिये रख विनय,रहता  विद्या घट भरा।।


अंबुज


अंबुज खिलते अंब में, चढ़ते माँ कमला चरण।

उनका भरता कोष है, पा जाता है जो शरण।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

23 comments:

  1. ‘कमल‘ के पर्याय वाची शब्दों पर भक्ति भाव से सृजित खूबसूरत सृजन । आपकी सृजनात्मक शक्ति को शत शत नमन कुसुम जी ।

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    1. हृदय से आभार आपका मीना जी आपकी मोहक प्रतिक्रिया सदा सृजनशीलता को आलोडित करती है।
      सस्नेह।

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  2. कमल की तरह खिलखिलाते सुंदर, मनोहारी छंदों की माला,
    बहुत बहुत शुभकामनाएं कुसुम जी💐🙏

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    1. हृदय से आभार आपका जिज्ञासा जी, मनभावन प्रतिक्रिया।
      आपकी स्नेहिल उत्साहवर्धक टिप्पणी सदा लेखनी को उर्जा प्रदान करती है।
      सस्नेह।

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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    1. जी हृदय से आभार आपका आलोक जी, उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।
      सादर।

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  4. Replies
    1. हृदय से आभार आपका ज्योति बहन।
      उत्साहवर्धन हुआ।
      सस्नेह।

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  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 09 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    1. जी हृदय से आभार आपका पाँच लिंक पर रचना को शामिल करने के लिए।
      मैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
      सादर।

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  6. चंद्रमणि सा ही अलौकिक आभा लिए हुए सहस्त्र दल कमल । अत्यंत सुंदर स्वरूप में रचित छंद । हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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    1. आत्मीय स्नेह और काव्यात्मक प्रतिपंक्तियां,सृजन मुखर हुआ
      अमृता जी ।
      सदा स्नेह बनाए रखें।
      सस्नेह आभार आपका।

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  7. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कलरविवार (9-1-22) को "वो अमृता... ज‍िसे हम अंडरएस्‍टीमेट करते रहे"'(चर्चा अंक-4304)पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. हृदय से आभार आपका कामिनी जी, चर्चा मंच पर रचना को रखने के लिए।
      मैं चर्चा पर अवश्य उपस्थित रहूंगी।
      सादर सस्नेह।

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  8. वाह कुसुम जी !
    यदि हमारे बचपन में आप जैसा कोई गुरु होता तो हम भी हिंदी-कविता की हर विधा में पारंगत हो जाते.

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    1. सादर धन्यवाद आदरणीय सर।
      अतिरंजित प्रतिक्रिया, पर हार्दिक अभिनन्दन।
      वैसे गुरु तो मैं आपको मानती हूँ आप एक अच्छे पथप्रदर्शक हैं,साथ ही विविध विषयों पर अपरिमित ज्ञान भंडार है आपके पास ।
      सादर।

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  9. आदरणीया कुसुम कोठारी जी, कमल के पर्यायवाची शब्दों पर बहुत सुंदर दोहे। साधुवाद!--ब्रजेंद्रनाथ

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    1. हृदय से आभार आपका आदरणीय।
      उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से लेखन मुखरित हुआ।
      सादर।

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  10. अंबुज खिलते अंब में, चढ़ते माँ कमला चरण।

    उनका भरता कोष है, पा जाता है जो शरण।।

    बहुत सुंदर

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सरिता जी लेखन पसंद आया सृजन सार्थक हुआ।
      ब्लॉग पर सदा स्वागत है आपका।
      सस्नेह।

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  11. सुंदर प्रस्तुति आदरनीय ।

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    1. जी हृदय से आभार आपका आदरणीय।
      सादर।

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  12. वाह!!!
    कमाल का सृजन
    निःशब्द हूँ इन पर्यायवाची शब्दों से...वह भी चन्द्रमणि छन्दों में...लाजवाब बस लाजवाब🙏🙏🙏🙏

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