Followers

Monday 10 May 2021

अटल निश्चय


 अटल निश्चय


कालिमा से नित्य लड़ने

आग आलोकित जगाकर

रश्मियों की ओज से फिर 

जगमगायेगा चराचर।।


श्याम वर्णी मेघ वाहक

जल लिए दौड़े चले जब

बूंद पाकर  सृष्टि सजती

चक्र चलता है यही तब

बीज के हर अंकुरण में

आस जगती दुख भुलाकर।।


बांध कर के ज्ञान गठरी

कौन चल पाया जगत में

बांटने से जो बढ़े धन

सुज्ञ ने गाया जगत में

सुप्त मेधा की किवाड़ीं

सांकलें खोलो हिलाकर।।


कार्य हो आलस्य तजकर

और निश्चय हो अटल जब

रुक न सकता कारवां भी

दूर होते शूल भी तब

सूर्य शशि शिक्षित करें नित

दीप सबके हिय जलाकर।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

18 comments:

  1. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका शिवम् जी।
      उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।

      Delete
  2. बहुत सुंदर रचना, कुसुम दी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।
      सस्नेह।

      Delete
  3. बहुत सुंदर रचना सखी

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका सखी।
      उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।
      सस्नेह।

      Delete
  4. This is really fantastic website list and I have bookmark you site to come again and again. please read mine - love quotes in telugu

    ReplyDelete
  5. बहुत बहुत सराहनीय

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आलोक जी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया आपकी।
      सादर।

      Delete
  6. निश्चय का दीप रौशनी की तरह कालिमा को दूर करता है ...
    बहुत सुन्दर रचना है ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका नखसवा जी आपकी व्याख्यात्मक टिप्पणी से लेखन सार्थक हुआ।
      सादर।

      Delete
  7. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
      उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया।
      सादर।

      Delete
    2. This comment has been removed by the author.

      Delete
    3. ब्लाग पर सदा स्वागत है आपका।

      Delete
  8. सूर्य शशि शिक्षित करें नित

    दीप सबके हिय जलाकर।।

    बहुत ही सुंदर सृजन कुसुम जी,सादर नमन

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी ।
      आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सस्नेह।

      Delete