बादलों ने ली अंगड़ाई
खिलखिलाई दामिनी भी।
स्वागत में फिर बजे नगाड़े
कसमसाई यामिनी भी।
सागर हृदय प्रभंजन भारी
लहरें तीव्र गति दौड़ती
चंद्र मिलन को आतुर सी वो
तटों के बंधन तोड़ती
रेत कूल पर सोई-सोई
झिलमिलाई चाँदनी भी।।
बादलों ने ली अंगड़ाई
खिलखिलाई दामिनी भी।
प्राची मुख पर लाली छाई
उषा घूंघट पट खोलती।
मीठी मधुर पावन ऋचाएं
जैसे दिशाएं बोलती।
पाखी चिरिप-चिरिप स्वर बोले
थरथराई कामिनी भी ।।
बादलों ने ली अंगड़ाई
खिलखिलाई दामिनी भी।
बागों में बोली कोयलिया
मीश्री सरस रस घोलती
सुन मिलिंद गुंजार रसीली
किसलय लचीली डोलती
चंद्रमल्लिका खिली-खिली सी
मुस्कुराई कुमुदिनी भी।।
बादलों ने ली अंगड़ाई
खिलखिलाई दामिनी भी।
कुसुम कोठारी।
खिलखिलाई दामिनी भी।
स्वागत में फिर बजे नगाड़े
कसमसाई यामिनी भी।
सागर हृदय प्रभंजन भारी
लहरें तीव्र गति दौड़ती
चंद्र मिलन को आतुर सी वो
तटों के बंधन तोड़ती
रेत कूल पर सोई-सोई
झिलमिलाई चाँदनी भी।।
बादलों ने ली अंगड़ाई
खिलखिलाई दामिनी भी।
प्राची मुख पर लाली छाई
उषा घूंघट पट खोलती।
मीठी मधुर पावन ऋचाएं
जैसे दिशाएं बोलती।
पाखी चिरिप-चिरिप स्वर बोले
थरथराई कामिनी भी ।।
बादलों ने ली अंगड़ाई
खिलखिलाई दामिनी भी।
बागों में बोली कोयलिया
मीश्री सरस रस घोलती
सुन मिलिंद गुंजार रसीली
किसलय लचीली डोलती
चंद्रमल्लिका खिली-खिली सी
मुस्कुराई कुमुदिनी भी।।
बादलों ने ली अंगड़ाई
खिलखिलाई दामिनी भी।
कुसुम कोठारी।