Followers

Thursday 6 June 2019

पुरवैया लाई संदेशा

पुरवैया लाई संदेशा

आज चली कुछ हल्की-हल्की सी पुरवाई
एक भीनी सौरभ से भर गई  सभी दिशाएँ
मिट्टी महकी सौंधी-सौंधी श्यामल बदरी छाई
कर लो सभी स्वागत देखो-देखो बरखा आई
कितना झुलसा तन धरती का आग सूरज ने बरसाई
अब देखो खेतीहरों के नयनों भी खुशियाँ छाई
आजा रे ओ पवन झकोरे थाप लगा दे नीरद पर
अब तूं बदरी बिन बरसे नही यहां से जाना
कब से बाट निहारे तेरी सूखा तपता सारा ज़माना
मिट्टी,खेत,खलिहान की मिट जाए अतृप्त प्यास
आज तूझे बरसना होगा मिलजुल करते जन अरदास ।

           कुसुम  कोठारी ।

12 comments:

  1. मिट्टी महकी सौंधी-सौंधी श्यामल बदरी छाई
    कर लो सभी स्वागत देखो-देखो बरखा आई
    कितना झुलसा तन धरती का आग सूरज ने बरसाई..मन को हर्षाती खूबसूरत रचना सखी 👌👌

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया सदा उत्साह बढाती है ।

      Delete
  2. बहुत ही सुन्दर रचना सखी

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत सा स्नेह आभार सखी ।

      Delete
  3. पवन की पालकी
    नीरव हुवा घायल
    छनकी होले होले
    किरणों की पायल।
    वाह!!!

    ReplyDelete
  4. बहुत सा आभार विश्व मोहन जी कुछ अद्भुत सा है ये टिप्पणी का अंदाज मेरी दुसरी रचना की कुछ पंक्तियाँ है ये ¡पर बहुत अच्छा लगा।
    सादर।

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर रचना👌👌

    ReplyDelete
  6. कब से बाट निहारे तेरी सूखा तपता सारा ज़माना
    मिट्टी,खेत,खलिहान की मिट जाए अतृप्त प्यास
    आज तूझे बरसना होगा मिलजुल करते जन अरदास।
    कुसुम दी लग रहा हैं कि अब जल्द ही हमारी ये अरदास कबूल होने वाली हैं।

    ReplyDelete
  7. बारिश के आगमन का सन्देश... मन मेंं हर्ष का संचार करती अत्यंत सुन्दर रचना कुसुम जी ।

    ReplyDelete
  8. आज चली कुछ हल्की-हल्की सी पुरवाई
    एक भीनी सौरभ से भर गई सभी दिशाएँ
    मिट्टी महकी सौंधी-सौंधी श्यामल बदरी छाई.... बहुत ही सुन्दर सृजन दी जी

    ReplyDelete
  9. काश दिल्ली में तो अब बरस ही जाये ... पुरवाई बरखा की बूँदें ले आये ...
    सुन्दर रचना ...

    ReplyDelete
  10. प्रिय कुसुम बहन आज अपने शहर के मौसम का हाल कुछ ऐसा ही है | दुआ है ये बदली बरस ही जाए | जलती धरती खेत खलिहान को असह्य तपन से निजात मिले | सस्नेह --

    ReplyDelete