पाती
पाती आई प्रेम की
आज राधिका नाम
श्याम पीया को आयो संदेशो
हियो हुलसत जाय
अधर छाई मुस्कान सलोनी
नैना नीर बहाय
एक क्षण भी चैन पड़त नाही
हिय उड़ी उडी जाय
जाय बसुं उस डगर जासे
आये नंद कुमार
राधा जी मन आंगने
नौबत बाजी जाय
झनक झनक पैजनिया खनके
कंगन गीत सुनाय
धीर परत नही मन में
पांख होतो उडी जाय
जाय बसे कान्हा के
नैनन सारा जग बिसराय।
कुसुम कोठारी।
धीर परत नही मन में
ReplyDeleteपांख होतो उडी जाय
जाय बसे कान्हा के
नैनन सारा जग बिसराय।
वाह बहुत मनभावन रचना सखी
सस्नेह आभार सखी आपकी मनभावन प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
Deleteबहुत ही सुंदर
ReplyDeleteबहुत सा आभार लोकेश जी उत्साहित करती आपकी प्रतिक्रिया।
Deleteवाह... जय श्री कृष्ण
ReplyDeleteआभार भाई ।
Deleteजय श्री कृष्णा ।
बहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteसस्नेह आभार अभिलाषा बहना ।
Deleteवाह!बहुत सुंदर !!
ReplyDeleteस्नेह भरा आभार मित्र जी।
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