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Wednesday 10 October 2018

मुस्कान के मोती

मुस्कान के मोती

जब दिल की मुंडेर पर
अस्त होता सूरज आ बैठता है
श्वासों में कुछ मचलता है
कुछ यादें छा जाती,
सुरमई सांझ बन
जहाँ हल्का धुंधलका
हल्की रोशनी
कुछ उड़ते बादल मस्ती में
डोलते मनोभावों जैसे
हवाके झोंके
सोया एहसास जगाते
होले होले बेकरारियों को
थपकी दे सुलाते
मन गगन पर वो उठता चांद
रोशनी से पूरा आंगन जगमगा देता
मन दहलीज पर
मोती चमकता मुस्कान का
फिर नये ख्वाब लेते अंगड़ाई
होले - होले
जब दिल की.........
                      कुसुम कोठारी ।

8 comments:

  1. बहुत खूबसूरत मुस्कान के मोती बिखेरे आपने सखी बेहद मनभावन रचना

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  2. यादें आती हैं तो बहुत कुछ स्वतः ले आती हैं ..
    मुस्कान भी ऐसी ही कुछ है ... बहुत सुन्दर रचना ...

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    1. सरस प्रतिक्रिया का बहुत सा आभार दिगम्बर जी आपकी सार्थक सराहना के लिये सदा अनुग्रहित रहूंगी।
      सादर।

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  3. सुखद अहसास को बखूबी शब्द दे दिये हैं आपने.
    हद पार इश्क 

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    1. बहुत बहुत आभार रोहितास जी, आप की प्रबुद्ध उपस्थिति उत्साह वर्धन करती है।

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  4. बेहतरीन मुस्कान का महत्व .....👌👌👌👌👌

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    1. सस्नेह आभार मीता ये एहसास की मुस्कान है ।

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