मंजर हसीं वादियों के
हां जलते रहेंगे चराग यूंही दिल की वफाओं मे
करना ही होगा अब यकीं मौसम की हवाओं मे
खामोशियां कब बयां होगी किसी जरूरत मे
बयां तो करना ही होगा खामोश सदाओं मे
नशेमन शीशे का क्यों बनाते हो बेताबियों मे
कुछ भी न बच पायेगा पत्थर की सजाओंं मे
चाहत मे बस अहसास की छूवन हो यादो मे
जैसे मौजे छूकर साहिल को लौटती दुआओं मे
हसीं वादियों के मंजर कितने खुशनुमा चमन मे
भीगा दामन धरा का घुमड़ती काली घटाओं मे।।
कुसुम कोठारी।
हां जलते रहेंगे चराग यूंही दिल की वफाओं मे
करना ही होगा अब यकीं मौसम की हवाओं मे
खामोशियां कब बयां होगी किसी जरूरत मे
बयां तो करना ही होगा खामोश सदाओं मे
नशेमन शीशे का क्यों बनाते हो बेताबियों मे
कुछ भी न बच पायेगा पत्थर की सजाओंं मे
चाहत मे बस अहसास की छूवन हो यादो मे
जैसे मौजे छूकर साहिल को लौटती दुआओं मे
हसीं वादियों के मंजर कितने खुशनुमा चमन मे
भीगा दामन धरा का घुमड़ती काली घटाओं मे।।
कुसुम कोठारी।