प्रथम दिवस
माँ शैलपुत्री
तनया पर्वत राज की, शैलपुत्री सुनाम।
नगपति जैसी ही अड़िग, वरदाई गुण खान।
वरदाई गुण खान,पूजती दुनिया सारी।
कमल लिए है हाथ, वृषभ की करे सवारी।
कहे कुसुम कर जोड़, खड़ी हूँ बनकर विनया।
देदो माँ वरदान, शैल की अनुपम तनया।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
माँ शैलपुत्री की गुणों का बखान करती अत्यंत सुन्दर कुण्डली सृजन ।
ReplyDeleteजय मां भवानी।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका मीना जी।
🙏🌹🙏
ReplyDeleteजय मां भवानी।
Deleteहृदय से आभार आपका।
वाह!कुसुम जी ,बहुत सुन्दर!!
ReplyDeleteजय माता रानी की।
Deleteहृदय से आभार आपका शुभा जी।