Followers

Sunday 1 November 2020

एक ऐसा गीत

 कोई ऐसा गीत सुना दूँ

सुन के जिस को हर दिल झूमें

एक ऐसा गीत सुना दूँ।


बंद कली घूंघट पट खोले

भँवरे भी घायल हो डोले

कुहुक उठे  कोयलिया

ठहरी पायल बोले।


कोई ऐसा गीत सुना दूँ। 


जिन होठों से गीत हैं छूटे

उन पर तान सजा दू़

जिन आँखों से सपने रुठे

सपने सरस सजा दूँ।


कोई ऐसा गीत सुना दूँ ।


 


कुसुम कोठारी "प्रज्ञा"

6 comments:

  1. वाह। बहुत सुंदर सृजन।

    ReplyDelete
  2. सादर नमस्कार ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार 3-11-2020 ) को "बचा लो पर्यावरण" (चर्चा अंक- 3874 ) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

    ReplyDelete
  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर मंगलवार 3 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  4. आदरणीया मैम ,
    बहुत ही प्यारी सकारात्मकता से भरी हुई सुंदर रचना. पढ़ कर बहुत आनंद आया। सुंदर रचना के लिए आभार और आपको सादर नमन।

    ReplyDelete
  5. बहुत प्यारी रचना गूढ़ भाओं से सजी👌👌

    ReplyDelete