Followers

Wednesday 5 August 2020

ऋतु का रंग

 ऋतु का रंग
एक मिट्टिका का कण बिखरा 
ठहर गया था पात अनी
भानु उर्मि उसपर लहराई 
चमक रही ज्यों हीर कनी ।

उपवन फूले मदमाए से
ऋतु का रंग चढ़ा भारी
फोड़ गया कोई मतवाला
सुधा भरी गगरी सारी
भीग गई फिर सभी दिशाएं
कुसुमधूलि जो पुहुप जनी।।

श्यामल मधुकर ड़ोल रहा था
मद पीने को भरमाया
पुष्प महकते सौरभ भीनी
उसकी क्यों काली काया
चंचल तितली कलियाँ महकी
आकर्षण का केन्द्र बनी ।।

माटी निखरी धुली धुली सी
दुर्वा लहराई धानी
ऊपर देखा घटा अश्व पर
चढ़कर बैठा सुर मानी
रिमझिम बरसी बरखा रानी
छतरी की फिर ड़ाड़ तनी।।

कुसुम कोठारी'प्रज्ञा'

20 comments:

  1. खूबसूरत नवगीत सखी

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन हुआ।

      Delete
  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ७ जुलाई २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार पांच लिंक पर रचना को शामिल करने के लिए।

      Delete
  3. बहुत सुंदर सृजन, कुसुम दी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार ज्योति बहन।
      आपकी टिप्पणी से रचना मुखरित हुई।
      सस्नेह।

      Delete
  4. सुन्दर सृजन

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।

      Delete
  5. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।

      Delete
  6. Replies
    1. सादर आभार आदरणीय उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिए।
      सादर।

      Delete
  7. माटी निखरी धुली धुली सी, दुर्वा लहराई धानी, ऊपर देखा घटा अश्व पर, चढ़कर बैठा सुर मानी..........!
    अद्भुत !!

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका गगन जी, मेरी स्वयं की प्रिय पंक्तियों पर विशेष टिप्पणी से मन प्रसन्न हुआ।
      सादर।

      Delete
  8. उपवन फूले मदमाए से
    ऋतु का रंग चढ़ा भारी
    फोड़ गया कोई मतवाला
    सुधा भरी गगरी सारी
    भीग गई फिर सभी दिशाएं
    कुसुमधूलि जो पुहुप जनी।।

    सुंदर सृजन कुसुम जी ,सादर नमन आपको

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत सा स्नेह आभार कामिनी जी ।
      आपकी टिप्पणी सदा मन खुश करती हैं।

      Delete
  9. जितनी प्रशंसा करो कम होगी..अद्भुत और अनुपम सृजन ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार मीना जी आपकी स्नेहसिक्त प्रतिक्रिया रचना के लिए पुरुस्कार हैं ।
      सस्नेह आभार।

      Delete
  10. बहुत बहुत आभार आपका, उत्साह वर्धन हुआ।

    ReplyDelete
  11. वाह!लाजवाब नवगीत दी ...वर्षा ऋतु का सराहनीय चित्रण किया है आपने।
    सादर

    ReplyDelete